कड़ाके की ठंड में दूध क्यों घट रहा? अपनाएं ये 4 देसी तरीके तो गाय-भैंस फिर देंगी भरपूर दूध
सर्दी के मौसम में गाय-भैंस का दूध तेजी से घट रहा है, जिससे पशुपालक परेशान हैं. ठंड, कम चारा और पानी न पीने की वजह से उत्पादन कम हो जाता है. लेकिन कुछ आसान देसी तरीके अपनाकर दूध की मात्रा दोबारा बढ़ाई जा सकती है. इससे पशु भी स्वस्थ रहेंगे और कमाई भी प्रभावित नहीं होगी.
Animal Care : सुबह की ठंड जब हड्डियों तक चुभने लगे, तो सिर्फ इंसान ही नहीं.. गाय-भैंसें भी कांप जाती हैं. शरीर ठंडा हो तो भूख घटती है, पानी कम पिया जाता है और इसका सीधा असर पड़ता है दूध पर. खेत-खलिहान में सभी एक ही सवाल पूछ रहे हैं– अचानक दूध इतना कम क्यों हो गया? लेकिन चिंता मत कीजिए, कुछ आसान देसी तरीके आपकी परेशानी दूर कर सकते हैं.
ठंड में क्यों घट जाता है दूध? वजह जान लीजिए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ठंड बढ़ते ही गाय और भैंस का शरीर अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करने लगता है. वे कम चारा खाती हैं, ठंडे पानी से परहेज करती हैं और इससे उनके शरीर में पानी व ऊर्जा दोनों कम हो जाते हैं. यही कमी दूध बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है. जहां एक पशु रोज 5–6 लीटर दूध देता है, वहीं कड़ाके की ठंड में यह घटकर 3–4 लीटर तक रह जाता है. ठंडी हवा सीधे थन और शरीर पर लगती है, तो मेटाबॉलिज्म और भी धीमा पड़ जाता है और दूध कम होना आम बात हो जाती है.
पशु को गर्म रखें–ठंड से बचाना सबसे पहली जरूरत
सर्दी में पशु को गर्म रखना सबसे जरुरी है. पशुशाला में ठंडी हवा दाखिल न हो, इसके लिए खुले हिस्सों पर बोरा, तिरपाल या प्लास्टिक शीट लगाना फायदेमंद होता है. फर्श हमेशा सूखा रहे और उस पर मोटा बिछावन डालें, ताकि पशु ठंडी जमीन पर न बैठे. सूखे पुआल या भूसे की परत पशु को अच्छी गर्मी देती है और बीमार होने का खतरा काफी कम हो जाता है. गुनगुना पानी पिलाना बेहद जरूरी है. ठंडा पानी पशु नहीं पीते और शरीर में पानी की कमी की वजह से दूध भी घटता जाता है. नवजात बछड़ों को अलग से गरमाहट देना जरूरी है, क्योंकि उन्हें निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है.
चारे में ऊर्जा बढ़ाएं, दूध अपने आप बढ़ जाएगा
सर्दियों में पशुओं को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. इसलिए चारे में खली, गुड़, चना, खनिज मिश्रण और मक्का शामिल करें. इससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है और दूध बनने की क्षमता भी बढ़ती है. कई पशुपालक सर्द मौसम में अदरक, हल्दी और गुड़ का हल्का काढ़ा बनाकर पशुओं को पिलाते हैं, जिससे सर्दी–जुकाम भी दूर होता है और थकान नहीं लगती. अगर चारे में पौष्टिकता कम है, तो पशु चाहे जितना भी खाएं, दूध बनने की प्रक्रिया कमजोर रहती है. इसलिए सर्दी में चारे का लेवल हमेशा बढ़ा हुआ होना चाहिए.