गाय, भैंस और अन्य पालतू पशुओं का पालन किसानों के लिए सिर्फ दूध और खाद तक सीमित नहीं है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. लेकिन कभी-कभी जानवरों के स्वास्थ्य में समस्या आ जाती है, जो किसानों की मेहनत पर असर डालती है. ऐसा ही एक बड़ा खतरा है पशुओं के पेट में कीड़े. यह बीमारी समय पर न पकड़ी जाए तो जानवर के स्वास्थ्य और किसान की आमदनी दोनों पर भारी असर डाल सकती है.
कीड़े पड़ने का खतरा और इसके असर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुओं के पेट में कीड़े लगने से उनका खाना हजम नहीं होता. कीड़े भोजन को चट कर जाते हैं, जिससे जानवर कमजोर हो जाता है. इससे दूध का उत्पादन घट जाता है और गोबर की गुणवत्ता भी खराब होती है. किसान आर्थिक नुकसान झेलते हैं क्योंकि उनका पशु कम दूध देता है और अधिक बीमार पड़ सकता है. समय पर पहचान और इलाज न होने पर समस्या गंभीर रूप ले लेती है.
पेट के कीड़े होने के लक्षण
किसान यदि अपने पशु के व्यवहार और शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दें तो जल्दी पहचान कर सकते हैं. पेट के कीड़े के मुख्य लक्षण हैं:-
- पशु का मिट्टी खाना
- कमजोरी और सुस्ती दिखाई देना
- मटमैले रंग का बदबूदार दस्त आना
- गोबर में काला खून या कीड़े दिखाई देना
- पशु में खून की कमी होना
- दुधारू पशु के दूध उत्पादन में कमी होना
इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. समय रहते पहचान होने पर इलाज आसान और असरदार होता है.
समय पर इलाज से बचा सकते हैं नुकसान
यदि किसान अपने जानवर में कीड़े की समस्या को समय रहते पहचान कर इलाज कराएं, तो नुकसान लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. इसके लिए पशुपालकों को कीड़ों के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है. डॉक्टर या पशु चिकित्सक से सही दवा और खुराक का पता कर उपचार करना सबसे सुरक्षित तरीका है.
कीड़ों से बचाव के उपाय
पशुओं को कीड़ों से बचाने के लिए कुछ आसान और असरदार उपाय हैं:-
- हर 3 महीने में डीवर्मिंग दवा देना जरूरी है.
- दवा देने से पहले गोबर की जांच अवश्य करवाएं.
- वैक्सीनेशन कराने से पहले आंत के कीड़ों की दवा देना आवश्यक है. टीकाकरण के बाद कोई अन्य दवा न दें.
- पशु को शुद्ध चारा, दाना और साफ पानी खिलाएं.
- बाड़े और पानी की जगह को हमेशा साफ रखें.
- इन उपायों से जानवर स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन भी बेहतर होता है.
किसान की जिम्मेदारी और जागरूकता
किसान यदि अपने पशु के स्वास्थ्य पर नियमित ध्यान देंगे, तो पेट के कीड़े जैसी बीमारियों से आसानी से बचाव किया जा सकता है. पशु की देखभाल में नियमित डीवर्मिंग, साफ-सफाई और पोषण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. साथ ही, समय-समय पर पशु चिकित्सक से जांच करवाते रहना चाहिए. इससे ना सिर्फ पशु स्वस्थ रहता है, बल्कि किसान की आमदनी भी सुरक्षित रहती है.