करोड़ों में बिकती है ‘व्हेल की उल्टी’, जानिए क्यों भारत में इसकी बिक्री पर लगा है बैन?

व्हेल स्पर्म व्हेल लगातार हो रहे इनके शिकार की वजह से अब विलुप्त होती जा रही है. इतना ही नहीं, समुद्री प्रदूषण और नावों से टकराने जैसी घटनाओं के कारण इनकी संख्या में कमी आई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 21 Apr, 2025 | 02:21 PM

जब आप ‘व्हेल की उल्टी’ सुनते हैं तो शायद आपके मन में अजीब सी तस्वीर बनती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये उल्टी जैसी दिखने वाली चीज असल में एक बेशकीमती खजाना है? जी हां, हम बात कर रहे हैं एंबरग्रिस की, जो समुद्र की गहराइयों से मिलने वाला ऐसा अनमोल खजाना, जिसकी कीमत जानकर आप दंग रह जाएंगे.

एंबरग्रिस क्या है और यह कहां से आता है?

एंबरग्रिस एक मोम जैसी नरम पदार्थ है, जिसे फ्रेंच में ‘ग्रे एंबर’ कहा जाता है. यह केवल स्पर्म व्हेल की आंतों में प्राकृतिक रूप से बनता है. जब व्हेल बड़ी मात्रा में स्क्विड और समुद्री जीव खाती है, तो उनके कुछ हिस्से पच नहीं पाते. पच न पाने वाला यह हिस्सा व्हेल के शरीर में धीरे-धीरे एक खास रासायनिक प्रक्रिया से बदलता है और एंबरग्रिस का रूप ले लेता है.

कभी-कभी यह पदार्थ व्हेल के शरीर से बाहर निकलता है, जिसे आप सामान्य भाषा में उल्टी भी कह सकते हैं, जिसके बाद यह समुद्र की लहरों के साथ बहता हुआ तट पर पहुंच जाता है. शुरू में यह नरम और गीला होता है, लेकिन समुद्र के पानी, सूरज की रोशनी और हवा से संपर्क में आने के बाद यह सख्त होकर पत्थर जैसा बन जाता है.

क्यों है इतनी महंगी?

दुनियाभर की महंगी परफ्यूम इंडस्ट्री में एंबरग्रिस की काफी मांग है. इसकी खासियत यह है कि यह खुशबू को लंबे समय तक बरकरार रखता है. महंगे ब्रांड इसे एक ‘फिक्सेटिव’ यानी खुशबू को टिकाए रखने वाले तत्व के रूप में इस्तेमाल करते हैं.

अब क्योंकि ये बेहद दुर्लभ होता है, इसलिए इसके दाम भी आसमान छूते हैं. अच्छी क्वालिटी का एंबरग्रिस की बात करें तो 1 किलो की कीमत 40,000 डॉलर (करीब 33 लाख रुपये) के करीब होती है. इतना ही नहीं इसकी बोली लगाने पर इसकी कीमत करोड़ो तक पहुंच जाती है.

भारत में क्यों है बैन?

भारत में एंबरग्रिस का व्यापार पूरी तरह से अवैध है. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत स्पर्म व्हेल एक संरक्षित जीव है और उसके किसी भी अंग या उत्पाद का व्यापार प्रतिबंधित है.

हालांकि यूनाइटेड किंगडम, न्यूज़ीलैंड, फ्रांस और मालदीव जैसे देशों में इसकी बिक्री कानूनी रूप से होती है, लेकिन भारत में एंबरग्रिस मिलने पर पुलिस केस बन सकता है.

विलुप्त हो रही है स्पर्म व्हेल

व्हेल स्पर्म व्हेल लगातार हो रहे इनके शिकार की वजह से अब विलुप्त होती जा रही है. इतना ही नहीं, समुद्री प्रदूषण और नावों से टकराने जैसी घटनाओं के कारण इनकी संख्या में कमी आई है. IUCN रेड लिस्ट में स्पर्म व्हेल को “वल्नरेबल” यानी संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है.

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