12 हजार रुपये लगाकर शुरू की गेंदे की खेती, आज फूल बेचकर कमा रहे 7 करोड़ रुपये

युवा किसान अरुप बताते हैं कि उन्होंने गेंदे की खेती की शुरुआत 12 हजार रुपये निवेश के साथ की थी, जिसमें ट्रांसपोर्ट और सिंचाई की लागत शामिल थी. उन्होंने बताया कि फूलों की क्वालिटी को लेकर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

नोएडा | Updated On: 9 Jul, 2025 | 06:12 PM

कहते हैं कि अगर इंसान मन बना ले तो वो अपनी मेहनत और लगन से अपनी परिस्थितियां बदल सकता है. ऐसा ही कुछ किया पश्चिम बंगाल के एक युवा किसान ने, जो कभी 3500 रुपये महीने की नौकरी करते थे और आज खेती कर 7 करोड़ तक की कमाई कर पा रहे हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के कोलाघाट के रहने वाले अरुप कुमार घोष की जो आज गेंदे की खेती से न केवल अच्छी आमदनी कर रहे हैं बल्कि उनके द्वारा तैयार किए गए गेंदे के फूल के बीजों की मांग देश के अन्य राज्यों में भी है. इसके साथ ही अरुप करीब 80 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ी

पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के कोलाघाट में रहने वाले युवा किसान अरुप घोष ने बताया कि उन्होंने साल 2010 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में पढ़ाई शुरू की, जिसे उन्होंने एक साल में ही छोड़ दिया. अरुप ने बताया कि जब उन्होंने कॉलेज छोड़ा तब उनके पास भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं था, ना ही कोई संसाधन. लेकिन उनके आसपास की दुनिया, खासकर फूलों की मंडी उन्हें हमेशा से आकर्षित करती थी. अरुप बताते हैं कि कोलाघाट की फूल मंडी में खिलते गेंदे और गुलाब के फूलों को देखकर उन्होंने भी फूलों की खेती (Floriculture) में संभावनाएं तलाशनी शुरू की, ताकि वे भविष्य में इस दिशा में काम कर सकें.

2011 में शुरू की गेंदे की खेती

बेटर इंडिया से बात करते हुए अरुप ने बताया कि फूलों की खेती में दिलचस्पी के चलते साल 2011 में वे हैदराबाद चले गए. वहां गुडीमलकापुर फूल मंडी में उन्होंने एक दुकान पर काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि फूल की दुकान पर काम करने पर उन्हें सैलरी के रूप में हर महीने 3500 रुपये मिलते थे, जहां वे सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक काम करते थे. अरुप ने बताया कि फूल की दुकान पर काम करते हुए उन्हें पता चला कि कोलाघाट से ही फूल हैदराबाद भेजे जाते हैं. यहीं से उनके मन में अपने गृह नगर यानी कोलाघाट लौटकर खुद काम शुरू करने का विचार आया और साल 2011 के आखिर में उन्होंने दो बीघा जमीन लीज पर लेकर गेंदे की खेती की शुरुआत की.

बैंकॉक से ली खेती की ट्रेनिंग

युवा किसान अरुप बताते हैं कि उन्होंने गेंदे की खेती की शुरुआत 12 हजार रुपये निवेश के साथ की थी, जिसमें ट्रांसपोर्ट और सिंचाई की लागत शामिल थी. उन्होंने बताया कि फूलों की क्वालिटी को लेकर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बता दें कि फूलों की क्वालिटी को सुधारने के लिए अरुप थाईलैंड गए, जहां उन्होंने छह महीने तक बैंकॉक के ब्लॉसम मार्केट में रहकर ट्रेनिंग ली और ‘टेनिस बॉल गेंदा’ की किस्म की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की. वहां से लौटते समय अरुप 25 ग्राम उच्च गुणवत्ता वाले बीज लेकर आए.जिनकी खेती से उन्हें बहुत अच्छी उपज मिली. ये फूल आकार में बड़े, टिकाऊ और सुंदर निकले.

देशभर में बीजों की डिमांड

अरुप घोष ने न केवल गेंदे की खेती से अच्छी उपज की बल्कि उन्होंने गेंदें के उन्नत क्वालिटी के बीजों औरल पौधौं को भी तैयार करना शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने उत्पादन को बढ़ाकर 6 बीघा और फिर 73 बीघा तक पहुंचा दिया.आज की तारीख में अरुप के द्वारा तैयार किए गए बीजों की माग केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि बीजों की मार्केटिंग फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए की, जिससे उनकी पहुंच देशभर के किसानों तक हुई. आज उनके पास देशभर से बीजों और पौधों के ऑर्डर आते हैं. अरुप बताते हैं कि वे पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया. इसलिए वे अपने खेतों में नीम का तेल, हड्डी की खाद और गोबर से बनी खाद का इस्तेमाल करते हैं

7 करोड़ है सालाना टर्नओवर

अरुप ने बताया कि साल 2024 में उन्होंने करीब 4 करोड़ पौधे और 1,500 किलो बीज बेचे, जिसमें से एक किलो बीज की कीमत 25 हजार रुपये तक थी. इसके साथ ही, गेंदे के फूलों की बिक्री से उन्हें एक सीजन में करीब 1 से 2 करोड़ की कमाई हुई. आज अरूप 73 बीघा जमीन पर गेंदे की खेती कर रहे हैं, जिसमें वे पीले और नारंगी गेंदा फूलों की कई किस्मों को उगाते हैं. उन्होंने बताया कि उनका सालाना टर्नओवर 6.35 करोड़ रुपये से लेकर 7.35 करोड़ रुपये तक है. जिसके अनुसार वो हर महीने औसतन करीब 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. अरुप ने न केवल खुद की जिंदगी बदली बल्कि अपने साथ अन्य लोगों को भी जोड़ा, उनको ट्रेनिंग देकर अपने साथ जोड़ा और आज उनके साथ उनकी टीम में 80 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं.

Published: 9 Jul, 2025 | 06:10 PM