बच्चे में एक बच्चा अपने घर में जो देखते और सीखते हैं, आगे जाकर वही उनके जीवन की सीख बन जाती है. इस बात को सही साबित करते का काम किया है अरवल के रहने वाले दिनेश कल्ला ने, जो कि अपनी समाज सेवा के लिए अन्य लोगों के लिए एक सच्ची प्रेरणा हैं. पिता से बचपन में मिली उद्यान क्षेत्र में रुचि और पौधारोपण के माध्यम से दिनेश न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं बल्कि अपने डॉक्टर मित्र के साथ मिलकर अस्पताल में मरीजों को मुफ्त फल बांटकर समाज सेवा की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं. दिनेश कल्ला कई तरह के अलग-अलग फलदार और छायादार फलों का पौधारोपण कर चुके हैं और इन्हीं पेड़ों से फल तोड़कर दिनेश अस्पताल में मुफ्त फल बांटते है.
पिता के साथ सीखे पौधारोपण के गुण
अलवर के खैरथल वार्ड नंबर 2 में रहने वाले दिनेश कल्ला ने ‘किसान इंडिया’ से बात करते हुए बताया कि उनका पूरा बचपन पिता के इर्द गिर्द ही घूमा, संयुक्त परिवार में रहने के कारण उन्हें परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि बचपन में वो अपने पिता को पौधे लगाते देखते थे जिसके कारण बचपन में ही पौधारोपण में उनकी रुचि जागी. दिनेश ने आगे बताया कि उनके पिता कहते थे जब मैं नहीं रहूंगा तो ये पेड़ ही मेरी मौजूदगी का अहसास कराएंगे. उन्होंने बताया कि पिता की ये बात उनके बाल मन में घर कर गई और उन्हीं की सोच को आदर्श मानकर बीते 15 सालों से वे पौधा रोपण कर रहे हैं.

दिनेश कल्ला के पेड़ों में लगे फल (Photo Credit- Kisan India)
13 बीघा जमीन पर शुरू किया पौधारोपण
दिनेश कल्ला ने बताया कि वे अपनी 13 बीघा जमीन पर बड़ी संख्या में फलदार और छायादार पौधे लगाना शुरू किया था. जो कि आज विशाल पेड़ का रूप ले चुके हैं. दिनेश ने बताया की वो ज्यादातर ऐसे पेड़ों का चुनाव करते हैं जो प्रकृति के साथ मानव जीवन के लिए किसी वरदान से कम ना हों. उन्होंने बताया की हर साल मॉनसून सीजन में वे 50 से ज्यादा पेड़ लगाते हैं, यही कारण है कि अकेले उनकी खेतों की मेड़ और खाली जगह पर 100 से ज्यादा विशालकाय पेड़ मौजूद हैं. दिनेश की 13 बीघा जमीन पर जामुन, मौसमी, आम, केला, अनार समेत कई तरह के फलदार पेड़ मौजूद हैं.

अवलर के दिनेश कल्ला का 13 बीघा जमीन पर लगे फलदार पेड़ (Photo Credit- Kisan India)
डॉक्टर मित्र की प्रेरणा से शुरू की समाजसेवा
दिनेश कल्ला आगे बताते हैं कि खैरथल अस्पताल में काम करने वाले उनके डॉक्टर मित्र ने उन्हें अस्पताल के मरीजों की सेवा करने कि लिए प्रेरित किया. दिनेश आगे बताते हैं कि अस्पताल में अकसर उन्हें ऐसे मरीज मिलते थे जो अकेले होते थे और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि पिता से मिली सीख और दोस्त से मिली प्रेरणा से उन्होंने मरीजों की समाज सेवा करने का मन बनाया और अपने खेत में लगे फलदार पेड़ों से फलों को अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए निशुल्क लाने लगे.
दिनेश बताते है उनके पेड़ से जितने भी फल आते हैं वह अस्पताल में भर्ती मरीजों में जरूरतमंदों के लिए है और यह सेवा वो निरंतर जारी रखेंगे. बता दें कि दिनेश पिछले 4 सालों से समाज सेवा कर रहे हैं. दिनेश की कहानी लोगों को सीख देती है कि कैसे बचपन के अनुभव और पारिवारिक मूल्य एक व्यक्ति को प्रकृति और समाज के प्रति संवेदनशील बना सकते हैं. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.