कहते हैं इंसान कितनी ही ऊंचाई हासिल कर ले या कामयाबी की कितनी ही सीढ़ियां चढ़ ले, अगर सफर उसके मन का नहीं है तो जिंदगी में अधूरी सी लगती है. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में रहने वाले मनमोहन श्रीवास्तव के साथ, जिन्होंने पिता की इच्छा का मान रखते हुए वकालत तो कर ली लेकिन उनका मन हमेशा से खेती की तरफ ही रहा. मनमोहन ने बस्ती से एलएलबी (LLB) की पढ़ाई कर साल 2007 में वकालत की शुरुआत की. लेकिन शुरुआत के बाद भी उन्होंने हमेशा समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी और आज पर्यावरण संरक्षण के साथ वे खेती भी करते हैं और आसपास के इलाकों में लोग उन्हें ‘पर्यावरण मित्र’ के नाम से भी जाने जाते हैं.
कैसे हुई खेती की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के तिलाठी गांव के रहने वाले मनमोहन श्रीवास्तव एक किसान परिवार से आते हैं और वर्तमान में आयकर विभाग में अधिवक्ता के तौर पर कार्यरत हैं. मनमोहन बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें खेती-किसानी में बहुत रूचि थी लेकिन उनके पिता मुकुल चंद्र श्रीवास्तव ने पढ़ाई के लिए उन्हें बस्ती भेज दिया, जहां उन्होंने एलएलबी करके साल 2007 में वकालत की शुरूआत की. उन्होंने बताया कि वकालत करते हुए भी उनकी पहली प्राथमिकता हमेशा समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण ही रही जिसके लिए हमेशा से ही कोशिशें करते रहे ताकि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके.
2007 से 2025 तक लगाए 1 हजार पौधे
मनमोहन श्रीवास्तव ने पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत साल 2007 से की और साल 2017 में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पूरी तरह से खेती की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली. मनमोहन बताते हैं कि साल 2007 से लेकर अबतक यानी 2025 तक वे लगभग 1 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं और सैकड़ों पर्यावरण गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर चुके हैं. पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनके समर्पण को देखते हुए हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें जिला पर्यावरण समिति का सदस्य नियुक्त किया है. बता दें कि, इस साल भी उन्होंने अपने गांव और आसपास के इलाकों में 200 पौधे लगाए हैं और खास बात ये है किइन पौधों की देखभाल वे खुद ही करते हैं.

बस्ती के सफल किसाम मनमोहन श्रीवास्तव
धान की खेती से पहली बार मिला मुनाफा
पिता की मृत्यु के बाद मनमोहन ने गेहूं की फसल लगाई लेकिन खेती में अनुभव न होने के कारण फसल चौपट हो गई और उन्हें काफी नुकसान हुआ. लेकिन मनमोहन ने हार नहीं मानी. साल 2018 में एक बार फिर उन्होंने 6 बीघा जमीन पर धान की नर्सरी लगाई. इस बात उन्होंने अनुभवी किसानों से सलाह ली और फसल की देखभाल की. मेहनत से धान की खेती करने का नतीजा ये हुआ कि उन्हें पहले ही साल 70 हजार रुपये का मुनाफा हुआ.
6 लाख से ज्यादा की कर रहे कमाई
वर्तमान में मनमोहन वकालत के साथ-साथ अपनी 10 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं और सालाना 2 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आज उन्होंने खेती से होने वाली कमाई से खुद का ट्रैक्टर खरीद लिया है, साथ ही 2 बोरिंग करवा ली हैं और अब खेतों की जुताई का काम भी करते हैं. इसके अलावा उन्होंने आम का एक बाग भी लगाया है जिससे वे सालाना 1 लाख रुपये तक कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास 40 सागौन के पेड़ भी हैं, जिनकी बाजार में करीब 6 लाख रुपये तक कीमत होगी.