पपीता एक ऐसा फल है जो न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसके नियमित सेवन से पाचन बेहतर होता है और शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं. लेकिन अगर आप पपीते की खेती करना चाहते हैं तो इसका सही समय जानना बेहद जरूरी है. गलत मौसम में बोई गई फसल न तो अच्छे से बढ़ती है और न ही भरपूर फल देती है. तो आइए जानते हैं कि पपीते की बुवाई का सही समय क्या है और किस मौसम में इसे लगाना सबसे फायदेमंद होता है.
कब करें पपीते की बुवाई?
पपीता उष्णकटिबंधीय यानी गर्म और नम जलवायु में उगने वाला फल है. इसलिए इसके लिए वही मौसम उपयुक्त होता है जिसमें तापमान ज्यादा और ठंड बिल्कुल न हो. भारत जैसे देशों में इसकी बुवाई के लिए दो समय सबसे उपयुक्त माने जाते हैं, मार्च से मई और जुलाई से अगस्त. इन महीनों में तापमान 21 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो पपीते की बीज अंकुरण और पौधों की शुरुआती वृद्धि के लिए आदर्श है.
अगर आप गर्म और आर्द्र जलवायु वाले राज्यों जैसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल या बिहार में रहते हैं, तो साल में दो बार पपीते की बुवाई कर सकते हैं. लेकिन अगर आप ठंडी जगहों में रहते हैं, तो मार्च-अप्रैल का समय ही इसके लिए उपयुक्त रहेगा, क्योंकि सर्दियों में पपीते की फसल को नुकसान पहुंच सकता है.
बुवाई का तरीका
पपीते के बीजों को 12-24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखने से उनका अंकुरण अच्छा होता है. इसके बाद इन्हें ढाई से तीन सेंटीमीटर गहराई में बोया जाना चाहिए. अगर आप नर्सरी में बुवाई कर रहे हैं तो बीजों के बीच करीब 3 सेंटीमीटर की दूरी जरूर रखें. अंकुर निकलने के बाद जब पौधे 15 से 20 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तब इन्हें खेत में रोपित किया जा सकता है.
मिट्टी और नमी का ध्यान रखें
पपीते को ऐसी मिट्टी चाहिए जो अच्छी तरह से पानी सोख सके यानी ड्रेनेज सिस्टम अच्छा हो. रेतीली दोमट मिट्टी इसके लिए अच्छी मानी जाती है. बुवाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है लेकिन पानी ज्यादा हो गया तो बीज सड़ सकते हैं. इसलिए हल्की सिंचाई नियमित रूप से करते रहें.
कितने समय में मिलेगा फल?
पपीते का पौधा आमतौर पर 6 से 9 महीनों में फल देना शुरू कर देता है. यदि मौसम अनुकूल रहा और देखरेख अच्छी रही तो पहले साल में ही भरपूर उत्पादन मिल सकता है.