खेती के भी बड़े सुधारक थे अटल बिहारी वाजपेयी, जानिए कैसे बदली किसानों की तकदीर

अटल सरकार ने कृषि विपणन को सुधारने के लिए मॉडल एपीएमसी एक्ट का रास्ता खोला, ताकि किसान अपनी उपज बेहतर दाम पर बेच सकें. साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए अंत्योदय अन्न योजना शुरू की गई.

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नई दिल्ली | Published: 25 Dec, 2025 | 11:03 AM
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Atal Bihari Vajpayee farm policies: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आमतौर पर एक ओजस्वी वक्ता, कुशल राजनेता और राष्ट्रनिर्माता के रूप में याद किया जाता है. सड़क, संचार और विदेश नीति में उनके योगदान पर खूब चर्चा होती है, लेकिन कृषि क्षेत्र में उनके सुधारों की भूमिका अक्सर पीछे छूट जाती है. जबकि सच्चाई यह है कि वाजपेयी के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों ने भारतीय खेती की दिशा और दशा दोनों बदल दी. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के मौके पर जानते हैं कैसे उन्होंने बदली खेती की तस्वीर.

किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय किसानों की सबसे बड़ी समस्या पूंजी की थी. खेती के लिए समय पर सस्ता कर्ज नहीं मिल पाता था. इसी चुनौती को समझते हुए किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की गई. इस योजना ने किसानों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा और उन्हें बिना ज्यादा कागजी झंझट के फसल ऋण मिलने लगा. इससे साहूकारों पर निर्भरता घटी और खेती में निवेश बढ़ा.

डेयरी और चीनी उद्योग में लाइसेंस राज का अंत

अटल सरकार के सबसे बड़े कृषि सुधारों में डेयरी और चीनी उद्योग का पूर्ण डी-लाइसेंसिंग फैसला शामिल था. इससे पहले दूध और चीनी उत्पादन पर सरकारी नियंत्रण काफी सख्त था, जिससे निजी निवेश सीमित रहता था. 2002 में डेयरी सेक्टर को पूरी तरह खोलने के बाद निजी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया. नतीजा यह हुआ कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया. इसी तरह 1998 में चीनी उद्योग को डी-लाइसेंस करने से मिलों की क्षमता बढ़ी और किसानों को गन्ने की बेहतर मांग मिलने लगी.

बीटी कॉटन: खेती में तकनीक का साहसिक प्रयोग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2002 में बीटी कपास को मंजूरी देना अटल बिहारी वाजपेयी का सबसे साहसिक फैसला माना जाता है. उस समय इस पर काफी विरोध हुआ, लेकिन सरकार पीछे नहीं हटी. आज इसका असर साफ दिखता है. देश की 95 फीसदी से ज्यादा कपास खेती बीटी तकनीक से हो रही है. इससे उत्पादन बढ़ा, कीटनाशकों का खर्च घटा और किसानों की आमदनी में बड़ा सुधार आया. गुजरात जैसे राज्यों में कृषि विकास की तेज रफ्तार का एक बड़ा कारण यही फैसला माना जाता है.

कृषि बाजार और पीडीएस में सुधार

अटल सरकार ने कृषि विपणन को सुधारने के लिए मॉडल एपीएमसी एक्ट का रास्ता खोला, ताकि किसान अपनी उपज बेहतर दाम पर बेच सकें. साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए अंत्योदय अन्न योजना शुरू की गई. इस योजना के तहत सबसे गरीब परिवारों को सस्ते दाम पर ज्यादा अनाज देने की व्यवस्था की गई. उद्देश्य था कि जरूरतमंदों को राहत मिले और सरकारी सब्सिडी का बोझ भी संतुलित रहे.

किसान आयोग और दीर्घकालीन सोच

फरवरी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी ने किसान आयोग का गठन किया, ताकि खेती की समस्याओं का दीर्घकालीन समाधान निकाला जा सके. यह दिखाता है कि वे तात्कालिक राजनीति से ऊपर उठकर कृषि को भविष्य की दृष्टि से देखते थे. उनका मानना था कि भारत की असली ताकत गांव और खेत हैं.

‘आईटी इंडिया के लिए, बीटी भारत के लिए’

अटल जी का सपना था कि तकनीक सिर्फ शहरों तक सीमित न रहे. वे कहा करते थे कि आईटी आज के भारत के लिए है, लेकिन बायोटेक्नोलॉजी आने वाले भारत यानी ‘भारत’ के लिए. बीटी कपास इसी सोच का परिणाम था. आज जब खेती जलवायु परिवर्तन और लागत संकट से जूझ रही है, तब अटल जी की तकनीक आधारित कृषि नीति और भी प्रासंगिक लगती है.

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