संतरे की खेती करने वाले किसान जानते हैं कि एक अच्छी फसल के लिए कितनी मेहनत और देखभाल की जरूरत होती है. लेकिन जब पेड़ों पर बीमारियों का हमला हो जाए, तो सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है. ऐसी ही एक खतरनाक बीमारी है झुलसा रोग (Blight), जो संतरे की फसलों को तेजी से प्रभावित करता है. यह न सिर्फ फलों की गुणवत्ता को खराब करता है, बल्कि पूरे बागान को बर्बादी की कगार पर ला सकता है. आइए जानते हैं झुलसा रोग आखिर होता क्या है, यह कैसे फैलता है, और इससे बचाव के लिए किसान क्या उपाय कर सकते हैं.
झुलसा रोग क्या है?
संतरे के पेड़ों में झुलसा रोग फंगल (कवकीय) या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है. इसके प्रमुख कारणों में साइट्रस कैंकर (Citrus Canker), हुआंगलोंगबिंग (Huanglongbing या Citrus Greening) और अल्टरनेरिया अल्टरनाटा (Alternaria alternata) जैसे रोग शामिल हैं. ये बीमारियां हवा, कीड़ों, संक्रमित उपकरणों और बीमार पौधों के संपर्क से फैल सकती हैं. अगर समय रहते इन्हें नहीं रोका गया, तो पूरा बाग प्रभावित हो सकता है.
संतरे की फसल पर इसका असर
झुलसा रोग संतरे के पेड़ों को भीतर से कमजोर कर देता है. साइट्रस कैंकर जैसे संक्रमण से पत्तियों, शाखाओं और फलों पर उभरे हुए घाव (लेसियन) बन जाते हैं, जिससे पत्तियां झड़ने लगती हैं और फल समय से पहले गिर जाते हैं. Huanglongbing, जिसे citrus greening भी कहा जाता है, पेड़ की नसों को खराब कर देता है. इससे फल छोटे, टेढ़े-मेढ़े और स्वाद में कड़वे हो जाते हैं यानी बाजार में बेचे नहीं जा सकते. वहीं Alternaria alternata नाम का फंगस पकते हुए फलों को प्रभावित करता है. इससे फलों पर काले-भूरे दाग पड़ जाते हैं और वे जल्दी सड़ने लगते हैं.
कैसे करें बचाव?
झुलसा रोग से बचाव के लिए सावधानी और नियमित देखरेख बेहद जरूरी है. अगर किसान कुछ जरूरी कदम समय पर उठाएं, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है.
नियमित निगरानी: बागान में समय-समय पर पेड़ों की जांच करें. पत्तियों या फलों पर किसी भी तरह का दाग या परिवर्तन दिखे तो तुरंत एक्शन लें.
साफ-सफाई का ध्यान रखें: बगीचे के उपकरणों को हमेशा साफ रखें, संक्रमित पत्तियों और शाखाओं को तुरंत हटा दें और जल निकासी की व्यवस्था सही रखें ताकि नमी न बढ़े.
रोग-प्रतिरोधी किस्मों का चयन: आजकल कुछ ऐसी किस्में भी उपलब्ध हैं जो इन रोगों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं. ऐसी किस्मों को चुनना एक स्मार्ट कदम हो सकता है.
जैविक नियंत्रण: फफूंद और कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक कीटनाशकों या लाभकारी कीटों का उपयोग करें.
संक्रमित पौधों को अलग करें: अगर किसी पेड़ में संक्रमण दिखे, तो उसे बाकी बाग से अलग कर दें और संक्रमित सामग्री को बाहर ले जाकर नष्ट करें.