सावधान! कहीं सरसों के पत्तों में तो नहीं दिख रहे गोल भूरे धब्बे

झुलसा रोग सरसों में पाई जाने वाली एक ऐसी समस्या है जिसे समय रहते अगर ठीक नहीं किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है.

Kisan India
Updated On: 15 Feb, 2025 | 10:54 AM

भारत की मुख्य रबी फसलों में से एक सरसों में यूं तो सबसे कम रख-रखाव और सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन जब भी आपको सरसों के पत्तों पर गोल भूरे धब्बे नजर आने लगें, तो समझ जाइए कि आपकी फसल बीमार पड़ रही है. दरअसल, सरसों के पत्तों पर गोल भूरे धब्बों को झुलसा रोग कहा जाता है.

यह सरसों लगाने के शुरुआती चरण से लेकर कभी भी पौधों में देखा जा सकता है. लेकिन इसे महज धब्बा समझने की गलती न करें, यह आपकी सरसों की पूरी फसल को खत्म कर सकता है.

क्या है यह झुलसा रोग?
झुलसा रोग सरसों में पाई जाने वाली एक ऐसी समस्या है जिसे समय रहते अगर ठीक नहीं किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है. इस रोग के होने पर सरसों की पत्तियों पर गोल भूरे धब्बे नजर आते हैं, जो पत्तियों को झुलसा देते हैं और बाद में धब्बों के बीच में छल्ले बनने लगते हैं.

पत्तियों से होते हुए यह रोग तने और शाखाओं तक फैल जाता है. तने पर ये धब्बे लंबे हो जाते हैं. इस रोग की वजह से फलियों पर असर पड़ता है और उनके दाने सिकुड़कर बदरंग हो जाते हैं.

कंट्रोल कैसे करें?

बीज बोने से पहले, बीज को मैन्कोज़ेब 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें. जब रोग शुरू हो, तो 2.5 ग्राम मैन्कोजेब को 1 लीटर पानी में घोलकर 2-3 बार छिड़काव करें. इसे हर 10 दिन के अंतराल पर दोहराएं.

सरसों में झुलसा रोग के साथ-साथ सफेद रतुआ या श्वेत कीट का प्रकोप भी हो सकता है. जब तापमान 10-18 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, तो पौधों की पत्तियों के निचले हिस्से पर सफेद फफोले दिखाई देते हैं. जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, ये फफोले एक साथ जुड़कर अनियमित आकार ले लेते हैं और फिर पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं. रोग ज्यादा बढ़ने पर फूल और फलियों पर भी ये धब्बे दिखाई देने लगते हैं.

सफेद कीट से बचाव

अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच सरसों की बुवाई का सही समय होता है. बीज बोने से पहले इसमें मेटालेक्सिल (एप्रॉन 35 एसडी) 6 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें. फसल को नियमित रूप से पानी दें. अगर फसल में रोग के लक्षण दिखें, तो रिडोमिल (एमजेड 72 डब्ल्यूपी) या मैन्कोजेब 1250 ग्राम को 500 लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें.

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Published: 15 Feb, 2025 | 06:11 AM

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