कपास उत्पादन में आएगी गिरावट, 292.15 लाख गांठ रहने का अनुमान.. डिमांड है बहुत ज्यादा
इस साल देश में कपास उत्पादन घटने और मांग ज्यादा रहने का अनुमान है. उद्योग संगठनों ने आयात शुल्क हटाने की मांग की है ताकि कपड़ा उद्योग और एमएसएमई को सस्ता कच्चा माल मिल सके. साथ ही बीज गुणवत्ता और उत्पादकता सुधार पर जोर दिया गया है.
Cotton Production: कॉटन प्रोडक्शन एंड कंजम्पशन कमेटी ने कहा है कि इस साल कपास उत्पादन 292.15 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) रहने का अनुमान है, जो पिछले सीजन से करीब 5 लाख गांठ कम है. वहीं, कपास की मांग 337 लाख गांठ रहने की उम्मीद है. साउदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन के महासचिव के. सेल्वराजू ने कहा कि जब उपलब्धता कम है तो कपास आयात पर रोक क्यों होनी चाहिए. सरकार ने अगस्त में कपास पर आयात शुल्क छूट को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया था, लेकिन उद्योग आयात शुल्क पूरी तरह हटाने की मांग कर रहा है, ताकि एमएसएमई को सस्ता कच्चा माल मिल सके.
भारत में कपास की औसत उत्पादकता 440 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि ब्राजील में यह 1,900 से 2,000 किलो प्रति हेक्टेयर है. केंद्रीय बजट में घोषित 5,900 करोड़ रुपये की कॉटन मिशन योजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. उद्योग का कहना है कि बीज की गुणवत्ता और उत्पादकता पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि उत्पादन में गिरावट न आए.
CCI एमएसपी पर खरीदती है कपास
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीदती है, लेकिन कपड़ा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल चाहिए. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन अश्विन चंद्रन ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ को लेकर अनिश्चितता, संभावित उत्पादन गिरावट और बेमौसम बारिश से फाइबर की गुणवत्ता पर असर के बीच आयात शुल्क हटाने से घरेलू और वैश्विक कीमतों का अंतर कम होगा. वहीं, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि अगर CCI खरीदी गई कपास को तुरंत बेच दे तो आयात की जरूरत अपने आप कम हो जाएगी.
कपास किसान ऐप पर कराएं पंजीकरण
वहीं, महाराष्ट्र में करीब सात लाख किसानों ने कपास किसान ऐप के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास बेचने के लिए पंजीकरण कराया है, जिसकी अंतिम तारीख 31 दिसंबर है. अमेरिका के साथ टैरिफ तनाव के बाद भारत ने कपास पर आयात शुल्क हटा दिया, जिससे कपास के दाम कमजोर बने हुए हैं. ऐसे में किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेचने के लिए कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) पर निर्भर हैं.
आयात शुल्क छूट भी 31 दिसंबर तक लागू
लंबी रेशा किस्म के लिए एमएसपी 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है और आयात शुल्क छूट भी 31 दिसंबर तक लागू है. देशभर में करीब 41 लाख पंजीकरण हुए हैं, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि एमएसपी तक पहुंच पाने वाले किसानों की संख्या अभी भी सवालों के घेरे में है. उन्होंने यह भी बताया कि अकेले विदर्भ में ही किसानों की वास्तविक संख्या राज्य के मौजूदा आंकड़े से ज्यादा हो सकती है.