हर रसोई में एक खास मसाला होता है जो न सिर्फ स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत का भी खजाना होता है वो है काला नमक. पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये काला नमक आता कहां से है? क्या ये सीधे जमीन से निकलकर हमारे किचन तक पहुंच जाता है? जवाब है..नहीं!
इस नमक के पीछे एक रोचक और वैज्ञानिक प्रक्रिया छिपी होती है. तो चलिए आज आपको बताते हैं काला नमक कैसे बनता है, कहां पाया जाता है और क्यों ये इतना खास है.
कहां से आता है काला नमक?
काला नमक को हम हिमालयी ब्लैक साल्ट, सुलेमानी नमक, या इंडियन रॉक सॉल्ट के नाम से भी जानते हैं. इसमें एक अलग-सी खुशबू होती है जो थोड़ी सी दही जैसी या उबले अंडे जैसी लग सकती है. ये महक असल में इसके अंदर मौजूद हाइड्रोजन सल्फाइड और अन्य खनिजों की वजह से होती है. काला नमक भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश के पहाड़ी इलाकों और खनिजों से मिलता है खासकर हिमालय की रेंज से.
यह समुद्र से नहीं, बल्कि जमीन के भीतर मौजूद रॉक सॉल्ट (सेंधा नमक) की खानों से निकलता है. ये नमक पत्थर के रूप में होता है और उसका रंग क्षेत्र की मिट्टी, खनिज और वातावरण पर निर्भर करता है कभी गहरा भूरा, कभी बैंगनी, और कभी लगभग काला.
ऐसे बनता है काला नमक
काला नमक बनता है एक खास प्रक्रिया से, जो इसे उसके गहरे रंग, तीखी खुशबू और स्वाद देती है:
- सबसे पहले, प्राकृतिक रॉक सॉल्ट (सेंधा नमक) को भट्टियों में तेज तापमान पर गर्म किया जाता है.
- फिर इसमें मिलाया जाता है हरड़ (black myrobalan), आंवला, बहेड़ा, बबूल की छाल, और कभी-कभी लकड़ी का कोयला (चारकोल).
- यह सब कुछ मटकों और चीनी मिट्टी के बर्तनों (clay pots) में डालकर गर्म किया जाता है.
- इस गर्माहट और मिलावट की वजह से अंदर रासायनिक प्रतिक्रिया (chemical reaction) होती है जिससे नमक का रंग काला और स्वाद तीखा हो जाता है.
- जब यह पक कर ठंडा हो जाता है, तब इसे पत्थर के रूप में तोड़ा और पीसा जाता है. पीसने के बाद यह नमक देखने में गुलाबी या बैंगनी रंग का होता है, लेकिन इसे काला नमक ही कहा जाता है.
क्या काला नमक प्राकृतिक रूप से खाने लायक होता है?
नहीं, काला नमक प्राकृतिक रूप में खाने लायक नहीं होता. इसमें कई तरह के खनिज होते हैं जैसे सोडियम क्लोराइड, आयरन सल्फाइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जो इसकी गंध और रंग के लिए जिम्मेदार हैं. इन्हें फिल्टर और प्रोसेस करके ही खाद्य रूप में लाया जाता है, ताकि ये शरीर को नुकसान ना पहुंचाए.
काले नमक की मुख्य वैरायटीज
हिमालयन ब्लैक साल्ट: हमारे खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. स्वाद में खट्टापन और तीखापन होता है. चाट, दही, सलाद, शिकंजी में खूब चलता है.
ब्लैक लावा सॉल्ट: हवाई जैसे देशों से आता है. इसका स्वाद मिट्टी जैसा और हल्का स्मोकी होता है. इसे खाने के ऊपर सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
ब्लैक रिचुअल सॉल्ट: यह खाने लायक नहीं होता. इसे चारकोल और डाई से बनाया जाता है और कई जगह इसे बुरी ऊर्जा भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
दरअसल, काला नमक कोई नया ट्रेंड नहीं है, 300 ईसा पूर्व से इसका उपयोग होता आया है. महान आयुर्वेदाचार्य चरक ने इसे अपनी पुस्तक चरक संहिता में विस्तार से लिखा है. इसके अनुसार, काला नमक पाचन सुधारने, वजन घटाने, मानसिक तनाव और हिस्टीरिया जैसे रोगों में राहत देता है.