जब भी आम की बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले उत्तर प्रदेश का नाम उभर कर सामने आता है. क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है और यहां के आम का स्वाद बहुत ही अद्भुत है. ऐसे तो उत्तर प्रदेश में चौसा, लंगड़ा, सफेदा और रतौल सहित आम की कई किस्में उगाई जाती हैं, लेकिन दशहरी की बात ही अलग है. यह अपने उम्दा स्वाद के लिए यूपी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. यही वजह है कि इसे 4 सितंबर 2009 को जीआई टैग भी मिल गया. इसकी सप्लाई यूरोप, अमेरिका सहित खाड़ी देशों में भी होती है.
दशहरी आम जितना टेस्टी है इसका इतिहास भी उतना ही पुराना है. इस आम का मूल स्थान लखनऊ से कुछ दूरी पर स्थित काकोरी थाना का एक गांव है, जिसका नाम दशहरी है. आज से करीब 250 साल पहले इसी गांव में एक पेड़ से दशहरी आम की शुरुआत हुई थी. खास बात यह है कि यह पेड़ अभी भी मौजूद है और इस पर फल उगते हैं. दशहरी गांव के लोगों की माने तो इस पेड़ के आम का स्वाद लोगों को बहुत भाया. इसके बाद धीरे-धीरे गांव में इसके कई बाग लगाए गए. फिर कुछ वर्षों में देखते ही देखते मलिहाबाद में दशहरी की खेती होने लगी.
250 साल पुराना दशहरी का इतिहास
हालांकि, कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इस गांव में पहली बार एक नई किस्म के आम का पौधा लगाया गया. जब पौधा बड़ा हुआ और उस पर पहली बार फल आए तो उसका स्वाद लोगों को बहुत पसंद आया. फिर इस पेड़ के आम को दूसरी जगह भी भेजा गया. यहीं से इस आम को दशहरी कहने का सिलसिला शुरू हो गया. ऐसे 250 साल पुराने इस पेड़ को मदर ऑफ मैंगो ट्री भी कहा जाता है. खास बात यह है कि दशहरी की सबसे अधिक खेती लखनऊ के काकोरी और मलिहाबाद के इलाकों में होती है. यहां पर आपको दशहरी के सैकड़ों बाग मिल जाएंगे.
यूपी देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य
उत्तर प्रदेश की देश के अंदर आम उत्पादन में 25 फीसदी हिस्सेदारी है. यहां पर 3.15 लाख हेक्टेयर में आम की खेती की जाती है यह राज्य अकेले 45 लाख टन से अधिक आम का उत्पादन करता है, जिसमें दशहरी की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी होती है. पिछले साल यूपी ने जापान और मलेशिया को 40 टन आम निर्यात किया था. वहीं, 2024 में पहली बार लखनऊ का दशहरी आम अमेरिका को निर्यात किया गया. जो दशहरी आम इंडिया में 60 से 100 रुपये किलो बिकता है, अमेरिका में पहुंचने पर इसकी कीमत 250 से 300 रुपये किलो तक हो जाती है.
क्या होता है GI टैग
GI टैग का पूरा नाम जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग है. यह एक तरह की बौद्धिक संपदा का अधिकार होता है, जो यह बताता है कि कोई उत्पाद किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा है. साथ ही उसकी गुणवत्ता, खासियत या पहचान उसी जगह की वजह से होती है.
यूपी में इतने उत्पाद को मिला GI टैग
अगर कोई चीज केवल किसी खास जगह पर ही बनती है या उगाई जाती है और उसकी पहचान, स्वाद, डिजाइन या गुणवत्ता उस जगह की वजह से होती है, तो उसे GI टैग दिया जाता है. अभी अभी तक उत्तर प्रदेश में 77 उत्पादों को GI टैग मिल चुका है. इसके साथ ही यूपी GI टैग के मामले में देश भर में अव्वल राज्य है.