महाराष्ट्र के पुणे जिले में अच्छी बारिश की वजह से इस साल तेजी से खरीफ फसलों की बुाई हो रही है. अब तक 1.95 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है और बाकी काम जल्द पूरा हो जाएगा. ऐसे जिले में खरीफ सीजन की औसतन बुवाई का क्षेत्रफल 2.02 लाख हेक्टेयर है. हालांकि पिछले दो हफ्तों से बारिश में रुकावट आई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि मावल, मुलशी, जुन्नर और अंबेगांव तहसीलों में धान की दोबारा रोपाई जारी है. हमें उम्मीद है कि 15 अगस्त तक 60,000 हेक्टेयर में धान की बुवाई पूरी हो जाएगी. अगस्त के तीसरे हफ्ते तक कुल खरीफ बुवाई औसत से ज्यादा हो जाएगी. हालांकि, बारिश में आए ब्रेक से कुछ इलाकों में धान की खेती थोड़ी प्रभावित हुई है. अंबेगांव तहसील के कुछ गांवों में किसानों को धान की रोपाई के लिए पानी का इंतजार है.
बारिश का बेसब्री से इंतजार
मलिन गांव के किसान विजय लेमभे ने कहा कि लगातार बारिश न होने से धान की रोपाई रुक गई है. हम अब बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. धान की दोबारा रोपाई के लिए खेतों में ज्यादा पानी चाहिए होता है. यह काम घुटनों तक पानी और कीचड़ में किया जाता है. एक एकड़ खेत में रोपाई के लिए कम से कम 10 मजदूरों की जरूरत होती है, जो 6 से 8 घंटे तक काम करते हैं.
किसान दोबारा रोपाई नहीं कर पाएंगे
बेगांव तहसील के सामाजिक कार्यकर्ता बुधाजी डामसे का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई तो किसान पौधों की दोबारा रोपाई नहीं कर पाएंगे. हल्की बारिश में भी धान की रोपाई की जाती है. पुणे जिला राज्य के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में से एक है. यहां के किसान कई तरह की धान की किस्में उगाते हैं, जिनमें इंद्रायणी चावल खास तौर पर मशहूर हो गया है. कृषि अधिकारियों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में इस किस्म की मांग होटल और रेस्टोरेंट्स में काफी बढ़ी है.
इन फसलों को मिल रहे अच्छे भाव
जिला कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि इंद्रायणी चावल, जो कि एक स्थानीय किस्म है, अब रिटेल मार्केट में भी बहुत लोकप्रिय हो गया है. इसका खास स्वाद और खुशबू लोगों को खूब पसंद आ रही है. इस बार अच्छी बारिश होने की वजह से धान की खेती भी बेहतर होने की उम्मीद है. ऐसे इस साल जिले के किसानों ने मुख्य रूप से सोयाबीन और मक्का की बुवाई पर जोर दिया है. इसकी वजह इन फसलों के अच्छे बाजार भाव हैं.
मक्के की खेती का बढ़ा रकबा
एक कृषि अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन सालों में मक्का की खेती में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. अब कई किसान मक्का की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि उन्हें अच्छी कमाई हो सके. उन्होंने आगे कहा कि किसान मक्के की दो किस्में उगाते हैं, एक जो पशुओं के चारे के लिए होती है और दूसरी स्वीट कॉर्न, जिसकी मॉनसून के दौरान काफी मांग रहती है. इस वजह से मक्का अब किसानों के लिए एक मॉनसून कैश क्रॉप बन गया है. पुणे समेत पूरे राज्य में इसकी बुवाई बड़े पैमाने पर हो रही है.