Potato Farming: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार, देश के प्रमुख आलू उत्पादक राज्य हैं. यानी इन राज्यों में किसान बड़े स्तर पर आलू की खेती करते हैं. लेकिन कई किसानों की शिकायत रहती है कि उन्नत किस्मों की बुवाई करने के बाद भी उतनी अधिक पैदावार नहीं हो रही है. ऐसे में कई बार किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है. पर अब आलू की खेती करने वाले किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि आज हम आलू खेती की वैज्ञानिक विधि के बारे में बात करने जा रहे हैं. इस विधि को अपनाते ही आलू की पैदावार बढ़ जाएगी. यानी आलू किसानों को कमाई ही कमाई होगी.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, आलू की अच्छी उपज के लिए सही समय और सही मात्रा में खाद देनी चाहिए. क्योंकि आलू ऐसी फसल है, जिसे प्रचूर मात्रा में पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि आलू को ‘हेवी फीडर’ कहा जाता है. ऐसे आमतौर पर किसान अलग-अलग तरह की खाद का इस्तेमाल करते हैं, ताकि कम समय में अच्छा उत्पादन मिल सके. लेकिन किसानों को यह मालूम होना चाहिए कि आलू के पौधों को कब और कितनी मात्रा में पोषण की जरूरत होती है. अगर संतुलित मात्रा में खाद दी जाए तो आलू की पैदावार बढ़ सकती है. ऐसे में किसानों की कमाई भी बढ़ जाएगी.
30 टन हो सकता है आलू उत्पादन
कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि आलू ऐसी नकदी फसल है जो कम समय में ही किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकती है. अगर खेत का सही प्रबंधन किया जाए, तो एक हेक्टेयर में 25 से 30 टन तक आलू का उत्पादन हो सकता है. लेकिन इसके लिए समय पर और संतुलित मात्रा में खाद डालनी चाहिए. खास बात यह है कि खाद की मात्रा से भी ज्यादा जरूरी है इसे सही समय पर डालना है. क्योंकि पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार पोषण मिलते हैं तो कंद बड़े बनते हैं और उत्पादन भी बढ़ता है. इसलिए उर्वरक प्रबंधन को हल्के में न लें, क्योंकि यही सीधे तौर पर किसानों की आमदनी बढ़ाता है.
इतनी मात्रा में करें खाद का इस्तेमाल
आलू की अच्छी पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश के साथ-साथ जिंक भी जरूरी होता है. लेकिन इन सभी पोषक तत्वों को सही मात्रा में देना बेहद महत्वपूर्ण है. इसलिए किसानों को एक हेक्टेयर आलू के खेत में 120- 150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 150 किलो पोटाश डालना चाहिए. अगर तराई वाले क्षेत्रों में आलू की खेती हो रही है, तो वहां जिंक की कमी आम होती है. ऐसे में किसान लगभग 30- 40 किलो मोनो हाइड्रेट जिंक का प्रयोग कर सकते हैं. इससे पौधों को पूरा पोषण मिलता है और उत्पादन बेहतर होता है. साथ ही ध्यान रखें कि नाइट्रोजन कभी दोपहर में न दें. इसे शाम के समय देना सबसे अच्छा माना गया है. ऐसे में पौधे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से शोषित कर पाते हैं और उत्पादन भी बढ़ता है.