उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जमीन से जुड़े विवादों के निपटारे में बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है. बीते एक साल में उपजिलाधिकारी और तहसीलदार स्तर पर करीब 30 लाख राजस्व मामलों को निस्तारित कर आम जनता को त्वरित न्याय और बड़ी राहत दी गई है. यह मॉडल अब प्रदेश में सुशासन और प्रशासनिक दक्षता की मिसाल बनता जा रहा है.
यह उपलब्धि महज़ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि 24 लाख से अधिक नामांतरण, डेढ़ लाख पैमाइश, 80 हजार बेदखली, 95 हजार अकृषक उपयोग और डेढ़ लाख बंटवारे जैसे अहम विवादों को सुलझाकर प्रदेश में सुशासन और प्रशासनिक दक्षता की मिसाल बन चुकी है.
24 लाख नामांतरण के मामले निपटे
प्रदेश में जमीन के मालिकाना हक से जुड़े विवादों को खास प्राथमिकता दी गई. विगत एक वर्ष में 24 लाख से अधिक नामांतरण के मामलों को सुलझाया गया. इससे हजारों परिवारों को उनकी संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिला. कुल मिलाकर, तहसील और उपजिलाधिकारी स्तर पर 30 लाख मामलों का समाधान कर प्रशासन ने रिकॉर्ड कायम किया है. योगी सरकार के निर्देशों के अनुरूप प्रशासन ने बड़ी जिम्मेदारी निभाई है, जिससे रिकॉर्ड स्तर पर राजस्व मामलों का समाधान किया गया.
जनता से जुड़ी समस्याओं पर रहा फोकस
प्रदेश सरकार ने जनता से जुड़े जमीन विवादों को प्राथमिकता पर लेते हुए डेढ़ लाख से अधिक पैमाइश मामलों का समाधान किया है. इनमें जमीन की माप-जोख और सीमांकन से जुड़े विवाद शामिल हैं, जिनके निपटारे से ग्रामीण इलाकों में लोगों को बड़ी राहत मिली है. इसके साथ ही 80 हजार बेदखली और 95 हजार अकृषक उपयोग से संबंधित मामलों का भी त्वरित निपटारा किया गया है. वहीं, बंटवारे के करीब डेढ़ लाख मामलों को सुलझाकर सरकार ने पारिवारिक विवादों को समय रहते समाप्त करने में सफलता पाई है.
सख्त मॉनीटरिंग से बदली तस्वीर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त निगरानी और दूरदर्शी रणनीति ने राजस्व विभाग को नई दिशा दी है. शासन स्तर से लेकर तहसील तक, जमीन से जुड़े विवादों को गंभीरता से लिया गया. प्रशासन को निर्देश दिए गए कि ऐसे मामलों में देरी न हो और हर पीड़ित को समयबद्ध न्याय मिले. इसका असर साफ दिखाई दिया. राजस्व विभाग में वर्षों से लंबित फाइलों की रफ्तार तेज हुई और लोगों को राहत भी मिलने लगी.