असम में रिकॉर्ड धान की खरीद, 6 लाख टन के पार पहुंचा आंकड़ा.. CM सरमा ने जताई खुशी

सीएम सरमा ने कहा कि हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि खरीफ सीजन 2024-25 का सफल समापन हुआ है और इस बार रिकॉर्ड 6.97 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Jul, 2025 | 12:43 PM

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम ने खरीफ विपणन सीजन (KMS) 2024-25 में अब तक की सबसे ज्यादा धान की खरीद की है. इस बार करीब 7 लाख मीट्रिक टन (6.97 लाख MT) धान खरीदी गई, जो पिछले सीजन की तुलना में दो गुना से भी ज्यादा है. इससे किसानों की बंपर कमाई हुई है. उम्मीद की जा रही है इस खरीफ सीजन में किसान और बड़े स्तर पर धान की बुवाई करेंगे. क्योंकि सरकारी की ओर से किसानों को समय पर भुगतान किया जा रहा है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्न एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि खरीफ सीजन 2024-25 का सफल समापन हुआ है और इस बार रिकॉर्ड 6.97 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई , जो अब तक की सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा कि 2023-24 में 3.14 लाख मीट्रिक टन और 2022-23 में 5.92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई थी.

इतने लाख टन धान खरीद का था लक्ष्य

सीएम ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि दिखाती है कि हम अपने किसानों को बाजार और उनकी सही कीमत यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जोड़ने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं. पिछले महीने ही मुख्यमंत्री ने इस बार 5.85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था, जिसे अब पार कर लिया गया है. सीएम सरमा ने यह भी कहा कि असम के कृषि उत्पाद अब अपनी बेहतरीन गुणवत्ता और पोषक तत्वों की वजह से दुनियाभर के बाजारों में पहुंच रहे हैं.

267 टन लाल चावल का निर्यात

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि माजुली जिले के किसानों ने 267 मीट्रिक टन लाल चावल (रेड राइस) मिडिल ईस्ट और यूरोपियन यूनियन (EU) देशों में निर्यात किया है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि असम के कृषि उत्पाद अपनी उच्च गुणवत्ता और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण अब ग्लोबल मार्केट में जगह बना रहे हैं.

1,000 हेक्टेयर में चावल की खेती

सीएम ने कहा कि ऐसे माजुली जिले में 1,000 हेक्टेयर में चावल की खेती होती, जो अपनी जैविक और पारंपरिक खेती के तरीकों के लिए जाना जाता है. निर्यात न केवल असम के पोषक तत्वों से भरपूर देशी अनाज की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग का संकेत देता है, बल्कि वैश्विक मंच पर ‘ब्रांड असम’ को भी मजबूत करता है.

सरमा ने कहा कि यह केवल चावल का निर्यात नहीं है. यह असम की सांस्कृतिक और कृषि पहचान का निर्यात है. कृषि असम की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, जो राज्य की 50 फीसदी से अधिक आबादी को रोजगार देती है.

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Published: 2 Jul, 2025 | 12:40 PM

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