क्या कृषि नीति में होने जा रहा है बड़ा बदलाव? केंद्रीय कृषि सचिव ने दिए संकेत

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि भारत को अब उत्पादन केंद्रित सोच से हटकर नैतिक और टिकाऊ कृषि नीति की ओर बढ़ना होगा. उन्होंने दालों में आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने की बात कही.

नोएडा | Updated On: 10 Aug, 2025 | 02:57 PM

केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने शनिवार को भारत की कृषि नीति में बड़ा बदलाव लाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि अब हमें सिर्फ उत्पादन केंद्रित और उपयोगिता आधारित मॉडल से आगे बढ़कर, नैतिक मूल्यों पर आधारित नीति अपनानी चाहिए, ताकि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी संतुलित किया जा सके. एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि हरित क्रांति का दौर पूरी तरह उत्पादन पर केंद्रित था, जहां पर्यावरणीय संतुलन को नजरअंदाज किया गया.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि हरित क्रांति के दौरान हमने उपयोगिता आधारित सोच को अपनाया था, लेकिन अब समय आ गया है कि हम इसे बदलकर नैतिक सिद्धांतों पर आधारित सोच अपनाएं. उन्होंने समझाया कि नैतिक सोच का मतलब है किसी काम को सिर्फ उसके नतीजों से नहीं, बल्कि नैतिक नियमों का पालन करते हुए आंकना.उन्होंने मौजूदा खेती के तरीकों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या हम उत्पादन लक्ष्य पाने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा कीटनाशक, सिंचाई और भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं?

हरित क्रांति ने गेहूं और चावल का प्रमुख उत्पादक बना दिया

चतुर्वेदी ने जोर देकर कहा कि अब हमें ऐसी नीतियों की जरूरत है, जो सिर्फ उत्पादन ही नहीं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि अब हमारी नीति की दिशा ऐसी होनी चाहिए जो उत्पादन और उत्पादकता तो बढ़ाए, लेकिन ऐसे तरीकों से जो स्थायी खेती, आजीविका की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण तीनों का संतुलन बनाए रखें. उन्होंने कहा कि भारत में 1960 के दशक की हरित क्रांति ने देश को भोजन की कमी वाले देश से गेहूं और चावल का प्रमुख उत्पादक बना दिया. यह बदलाव उच्च उत्पादन वाली फसल किस्मों, उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई के विस्तार से संभव हुआ.

देश दाल उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर हो चुका है

कृषि सचिव ने कहा कि भारत अब दालों में लगभग आत्मनिर्भर हो चुका है और तेल बीजों में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. उन्होंने भरोसा जताया कि जो नई फसल किस्में विकसित की जा रही हैं, वे इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि खाद्य और पोषण सुरक्षा, साथ ही सतत कृषि को सिर्फ आर्थिक लक्ष्य नहीं, बल्कि देश के करोड़ों छोटे किसानों की आजीविका से जुड़ा मुद्दा माना जाना चाहिए. ताकि सीमांत किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके. किसानों की खुशहाली ही देश की खुशहाली है.

Published: 10 Aug, 2025 | 02:56 PM