किसानों की जिंदगी बदलने वाले वैज्ञानिक अब भारत की जमीन पर नई उम्मीदें बोने आ रहे हैं. अफ्रीका के खेतों में मक्का की पैदावार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले डॉ. बी.एम. प्रसन्ना को अब बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA) का नया प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है. 1 जून 2025 से इस जिम्मेदारी को संभालते हुए, वे दक्षिण एशिया में खेती को और अधिक टिकाऊ, वैज्ञानिक और किसान-हितैषी बनाने के मिशन में जुट गए हैं. इस जिम्मेदारी के साथ ही दक्षिण एशिया में टिकाऊ खेती और किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू हो गया है.
खेतों से लेकर लैब तक की शानदार यात्रा
डॉ. बी.एम. प्रसन्ना का नाम आज खेती की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी रिसर्च की शुरुआत दिल्ली के मशहूर आईसीएआर-आईएआरआई (पूसा संस्थान) से की थी. इसके बाद वे दुनिया के नामी संगठन CIMMYT (इंटरनेशनल मक्का और गेहूं सुधार केंद्र) से जुड़ गए, जहां उन्होंने 15 साल तक मक्का प्रोग्राम के डायरेक्टर के रूप में काम किया.
अफ्रीका से एशिया तक पहुंचाई उम्मीद की फसल
नैरोबी (केन्या) में रहते हुए डॉ. प्रसन्ना ने ऐसी मक्का की किस्में तैयार कीं जो पोषक थीं, सूखे और जलवायु बदलाव को झेल सकती थीं. उनकी मेहनत से 2010 में जो मक्का किस्में सिर्फ 0.5 मिलियन हेक्टेयर में उगती थीं, वो 2024 तक बढ़कर 8.5 मिलियन हेक्टेयर में पहुंच गईं. ये उनकी सोच और किसानों के लिए समर्पण का ही नतीजा था.
किसानों के लिए बदलाव लाने वाले हीरो
डॉ. प्रसन्ना ने सिर्फ लैब में रिसर्च नहीं की, बल्कि जमीन पर उतरकर किसानों की जिंदगी बदलने वाले कई काम किए. उन्होंने भारत और केन्या में आधुनिक रिसर्च सेंटर बनाए, जैसे कि मक्का डबल हैप्लॉइड सुविधा और खतरनाक MLN बीमारी की जांच केंद्र.
2015 से 2021 तक उन्होंने “Maize Agri-Food Systems” और 2022 से 2024 तक “OneCGIAR Plant Health” जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की कमान संभाली. उन्होंने दुनियाभर के 120 से ज्यादा संस्थानों को साथ जोड़कर मक्का की बीमारियों जैसे फॉल आर्मीवर्म और MLN से लड़ने के लिए नई तकनीकें विकसित कीं.
सम्मान और उपलब्धियों की लंबी लिस्ट
डॉ. प्रसन्ना को दुनियाभर में उनके योगदान के लिए कई बड़े पुरस्कार मिले हैं:
- CIMMYT डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट अवॉर्ड (2024)
- डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड
- शंघाई मैगनोलिया अवॉर्ड (चीन)
- नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (भारत) की फैलोशिप
उन्होंने 250 से ज्यादा रिसर्च पेपर लिखे हैं और Google Scholar पर उनका h-index 75 है, जो किसी भी वैज्ञानिक के लिए बहुत बड़ी बात मानी जाती है.
अब BISA के साथ नई शुरुआत
जनवरी 2025 में उन्होंने CIMMYT के एशिया क्षेत्र के निदेशक का पद संभाला और अब BISA के प्रबंध निदेशक के रूप में वे भारत और दक्षिण एशिया के किसानों के लिए नई तकनीकों और रिसर्च को जमीन तक लाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
डॉ. प्रसन्ना कहते हैं, “BISA का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात है. हम भारत और दक्षिण एशिया के किसानों के साथ मिलकर विज्ञान आधारित तकनीकें तैयार करेंगे, जिससे खाने, पोषण और रोजगार की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके.”
BISA क्या करता है?
बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो भारत, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों में किसानों के लिए टिकाऊ खेती और जलवायु-फ्रेंडली तकनीकों पर काम करती है. इसका मकसद छोटे किसानों की परेशानियों को समझना और उन्हें समाधान देना है.
डॉ. प्रसन्ना की नियुक्ति से उम्मीद है कि BISA अब और ज्यादा किसानों के करीब पहुंचेगा, नई खोजें जमीन तक पहुंचेंगी और दक्षिण एशिया में खेती को एक नई दिशा मिलेगी.