आज के समय में किसान ऐसी फसलों की खेती करना पसंद करते हैं जिनकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है. ताकि उन्हें इन फसलों की खेती से अच्छी कमाई हो सके. इसके साथ ही आज के प्रगतिशील किसान अपने खेतों में तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं जिनसे उन्हें ये पता लग सकें कि उनके लिए किस फसल की कौन सी किस्म की खेती करना फायदेमंद रहेगा.
बरसात के में किसान फसलों की खेती तो कर रहे हैं लेकिन साथ ही साथ फसलों के सड़ने और उनमें कीट लगने का दौर भी जारी है. ऐसे में किसान उन फसलों का चुनाव करते हैं जो कि बारिश में भी कीटों और रोगों के प्रति लड़ने की क्षमता रखती हैं. ऐसी ही एक फसल है ताइवानी लौकी. जो कि लौकी की ही उन्नत क्वालिटी की किस्म है जो बारिश के दिनों में भी खरपतवारों के प्रकोप और सड़ने से खुद को बचा सकती है.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
ताइवानी लौकी एक उन्नत क्वालिटी की किस्म है जो कि व्यावसायिक फसल है. इसकी खेती से किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी लंबी, चमकदार, रेशारहित और आकर्षक बनावट के कारण बाजार में इसकी भारी मांग रहती है. अगर लौकी की इस किस्म की खेती में किसान मल्चिंग विधि और ड्रिप सिंचाई सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं तो पानी और लागत, दोनों की बचत की जा सकती है.
किसान अगर ताइवानी लौकी या इसकी हाइब्रिड किस्मों की खेती सही देखभाल के साथ करें तो यह किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. साथ ही किसानों के लिए इसकी खेती एक टिकाऊ व्यवसाय का विकल्प भी हो सकती है. किसान इस किस्म की खेती मचान विधि से करते हैं जिसके कारण फसल पर खरपतवार नहीं लगते और पानी और मिट्टी के संपर्क में न आने से फसल सड़ती भी नहीं है.
12 लाख तक हो सकती है कमाई
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लौकी की ये किस्म बुवाई के करीब 60 से 70 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, जिसके बाद हर 3 से 5 दिन में नियमित रूप से इसकी तुड़ाई करनी चाहिए. बता दें कि, किसानों को इसकी तुड़ाई तब करनी चाहिए जब इसके फल कोमल, चमकदार और बिना रेशे के हो जाएं.
बात करें इसकी फसल से होने वाली पैदावार की तो अगर इसकी खेती सही ढंग से की जाए तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान 250 से 350 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. मौसम और मांग को देखते हुए बाजार में इसकी कीमत 20 रुपये से 60 रुपये तक हो सकती है. यानी कोई किसान अगर 300 क्विंटल पैदावार करते हैं तो औसतन 40 रुपये कीमत के हिसाब से किसानों को प्रति किलोग्राम के अनुसार 12 लाख रुपये तक कुल कमाई हो सकती है.
किसान ऐसे कर सकते हैं खेती
ताइवानी लौकी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बता दें कि, इसकी खेती के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान सही होता है. इसके बीजों की बुवाई से पहले खेत को 2 से 3 बार गहराई से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लें. इसके बाद मिट्टी में 20 से 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डालें.
बीज बुवाई करते समय ध्यान रखें कि कतार से कतार की दूरी 1.5 से 2 मीटर, वहीं पौधों के बीच की दूरी 45 से 60 सेमी होनी चाहिए. बीजों को मिट्टी में 2.5 से 3 सेमी गहराई में बोएं. बीज बुवाई के तुरंत बात खेती की हल्की सिंचाई करें, उसके बाद हर 7 दिन में खेत को पानी दें. इस बात का खास खयाल रखें कि जरूरत से ज्यादा पानी देने पर फसल सड़ सकती है.