बारिश के बाद धान को इस रोग से बचाएं किसान, कीटों के हमले से फसल चौपट होने का खतरा

मॉनसून सीजन में जरूरत से ज्यादा बारिश होने पर खेतों में अकसर पानी जम जाता है. खेतों में पानी भर जाने से पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे फसल पीली पड़ने लगती है और खराब हो जाती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 19 Aug, 2025 | 10:57 AM

बरसात के मौसम में खेतों में पानी जमना, कीटों-रोगों और खरपतवारों का बढ़ना आम बात है. इस कारण से फसल बर्बाद हो जाती हैं और पैदावार पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में किसान अगर समय रहते बारिश के बाद फसल की सुरक्षा की उचित व्यवस्था कर लें तो फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. इस तरह से फसल से होने वाली पैदावार पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा, साथ ही किसानों को भी नुकसान का सामना नहीं करना पडे़गा.

खेतों में न होने दें जलभराव

मॉनसून सीजन में जरूरत से ज्यादा बारिश होने पर खेतों में अकसर पानी जम जाता है. खेतों में पानी भर जाने के कारण पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे फसल पीली पड़ने लगती है और खराब हो जाती है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि किसान बुवाई से पहले खेत तैयार करते समय जल निकासी की उचित व्यवस्था जरूर करें. इसके अलावा बारिश होने के बाद अगर खेत में पानी जमा हो रहा है तो जल्द से जल्द खेत में बनी नालियों को साफ करें और पानी को निकालें. बता दें कि ज्यादा देर पानी रुकने के कारण फसल में कीटों और रोगों के लगने का खतरा बढ़ जाता है.

खतपतवारों को कंट्रोल करना है जरूरी

बारिश के दिनों में नमी के कारण खेतों में खरपतवार तेजी से बढ़ने लगते हैं जो कि फसलों के लिए खतरे का संकेत होता है. खरपतवार फसलों को मिलने वाले पोषण को रोकतें हैं और खुद उन पोषणों की मदद से तेजी से बढ़ते हैं. इस कारण खेत में लगी मुख्य फसल अच्छे से बढ़ नहीं पाती जिसके कारण उत्पादन और क्वालिटी दोनों पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय-समय पर खेतों से खरपतवार हटाते रहें. बेहतर होगा कि किसान हर 20 से 25 दिन में खेतों से खरपतवारों को हाथ से उखाड़कर अलग कर दें. इस तरह धान के पौधे स्वस्थ और मजबूत रहेंगे और उन्हें भरपूर पोषण मिलेगा.

फसल को पर्याप्त मात्रा में खाद दें

किसी भी फसल से बेहतर उत्पादन लेने के लिए बहुत जरूरी है कि किसान खेत में सही और पर्याप्त मात्रा में खाद का इस्तेमाल करें.  धान की फसल को भी बढ़ने के लिए खाद की जरूरत होती है. किसानों के लिए जरूरी है कि वे बारिश होने के बाद हल्की खाद दें. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धान के 1 बीघा खेत में 5 से 7 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 15 से 20 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें. इससे पौधों में मजबूती आती है और वे कीटों तथा रोगों से बेहतर तरीके से लड़ पाते हैं.

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