गोबर-मूत्र से बनेगी सुपर फसल, जानिए जीवामृत बनाने का आसान तरीका

जीवामृत खाद न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारती है, बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ाती है. केमिकल खाद से क्षतिग्रस्त मिट्टी में यह खाद जान डालती है और धीरे-धीरे मिट्टी उपजाऊ बनती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 3 Sep, 2025 | 04:36 PM

भारत में कृषि में लागत लगातार बढ़ रही है. किसानों के लिए बाजार में मिलने वाली केमिकल वाली खाद महंगी होने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचा रही है. इसी वजह से अब जैविक खेती और प्राकृतिक खाद का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. ऐसी ही एक शक्तिशाली और असरदार खाद है-जीवामृत. यह खाद गोबर, मूत्र और कुछ सरल घरेलू सामग्री से बनती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में बेहद प्रभावी है.

जीवामृत खाद के फायदे

जीवामृत खाद न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारती है, बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ाती है. केमिकल खाद से क्षतिग्रस्त मिट्टी में यह खाद जान डालती है और धीरे-धीरे मिट्टी उपजाऊ बनती है. इसके इस्तेमाल से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और मिट्टी में उपस्थित प्राकृतिक सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है, जिससे मिट्टी में प्राकृतिक उर्वरा शक्ति कई गुना बढ़ जाती है. इसके अलावा यह खाद पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है और उन्हें रोग और कीटों से लड़ने में मदद करती है.

जीवामृत कैसे बनाएं

जीवामृत खाद बनाना बेहद आसान है और इसके लिए महंगे उपकरण या किसी खास तकनीकी जानकारी की जरूरत नहीं है. इसके लिए आपको चाहिए:

  • 200 लीटर पानी
  • 10 किलो गाय का गोबर
  • 10 किलो गाय का मूत्र
  • 1 किलो बेसन
  • 1 किलो पुराना गुड़
  • 1 किलो मिट्टी

इन सभी सामग्रियों को एक बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिलाकर छाया वाली जगह पर 48 घंटे के लिए रख दें. 2 से 4 दिनों में यह खाद तैयार हो जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में आपको कोई जटिल कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है.

जीवामृत का इस्तेमाल

जीवामृत खाद का उपयोग फसल की वृद्धि के अनुसार किया जा सकता है. बुवाई के समय 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ डालें. जब फसल बड़ी हो जाए, लगभग 21 दिन बाद, 100 लीटर पानी में 5 लीटर जीवामृत मिलाकर खेतों में छिड़कें. तीसरी बार, 21 दिन बाद 200 लीटर पानी में 20 लीटर जीवामृत मिलाकर खेतों में डाल दें. नियमित रूप से उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसल की पैदावार में सुधार होता है.

किसानों के लिए नई उम्मीद

जीवामृत खाद सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह किसानों की लागत को भी काफी हद तक कम करती है. महंगी केमिकल खाद की जगह इस प्राकृतिक और सस्ती खाद का उपयोग करके किसान अपनी खेती को ज्यादा टिकाऊ और लाभकारी बना सकते हैं. इसके अलावा जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते किसान इस फसल से बेहतर मूल्य भी कमा सकते हैं.

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