मिट्टी की सेहत पर खतरा: क्यों उठ रहे HT और हर्बिसाइड्स बीजों पर सवाल?

भारत सरकार ने अब तक HTBt कपास को मंजूरी नहीं दी है, क्योंकि इसे पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए खतरनाक माना गया है. इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में इसकी अवैध खेती हो रही है. यही कारण है कि सरकार और वैज्ञानिक दोनों ही चिंतित हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 26 Aug, 2025 | 11:00 AM

भारत सरकार ने हाल ही में एक बड़ी कीटनाशक बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इसके बाद खेती में लगातार बढ़ते खरपतवारनाशक (Herbicide) और हर्बिसाइड-टॉलरेंट (HT) बीजों के इस्तेमाल पर बहस छिड़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये बीज किसानों को कंपनियों पर और ज्यादा निर्भर बना रहे हैं और साथ ही धीरे-धीरे मिट्टी को भी जहरीला कर रहे हैं. इसी वजह से अब किसान संगठन और कृषि वैज्ञानिक चाहते हैं कि सरकार इस पर सोच-समझकर कदम उठाए.

सरकार की सख्ती और राजस्थान की कार्रवाई

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद राजस्थान सरकार ने एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड का लाइसेंस निलंबित कर दिया है. आरोप है कि कंपनी के बनाए एक रसायन से मध्य प्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन की फसल खराब हो गई. इसके बाद कंपनी को उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दी गई है.

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

आज कई तरह के खरपतवारनाशक पहले से मंजूर हैं, लेकिन कंपनियां अब HT बीजों को बढ़ावा दे रही हैं. इसका मतलब है कि जैसे-जैसे HT बीजों की खेती बढ़ेगी, वैसे-वैसे इन रसायनों की खपत भी बढ़ती जाएगी.

विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी फसलों को HT बनाने की कोई जरूरत नहीं है, जैसे बाढ़-सहिष्णु धान की किस्में, क्योंकि पानी से भरे खेतों में खरपतवार खुद ही कम उगते हैं.

एचटीबीटी कपास और विवाद

भारत सरकार ने अब तक HTBt कपास को मंजूरी नहीं दी है, क्योंकि इसे पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए खतरनाक माना गया है. इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में इसकी अवैध खेती हो रही है. यही कारण है कि सरकार और वैज्ञानिक दोनों ही चिंतित हैं.

मिट्टी और पर्यावरण पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार खरपतवारनाशक इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरता घट रही है और वह धीरे-धीरे जहरीली हो रही है. इसका असर सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पशुओं और इंसानों की सेहत पर भी आने वाली पीढ़ियों तक पड़ेगा. जब देश प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है, तब HT बीज और ज्यादा रसायनों का इस्तेमाल खेती को गलत दिशा में ले जा सकता है.

किसान संगठनों की आपत्ति

किसान संगठनों का कहना है कि भारत में खरपतवारनाशकों की बिल्कुल जरूरत नहीं है. भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा का कहना है कि खरपतवार को मारना गलत है, क्योंकि इनमें से कई औषधीय पौधे भी होते हैं. इन्हें खत्म करना सीधे तौर पर जैव विविधता को नष्ट करने जैसा है.

HT बीजों की मंजूरी पर रोक

विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को संतुलित नीति अपनानी चाहिए. अनावश्यक HT बीजों की मंजूरी रोकी जाए, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए और किसानों को खरपतवार प्रबंधन के सुरक्षित तरीके सिखाए जाएं. अगर अभी से सावधानी नहीं बरती गई तो मिट्टी की गुणवत्ता और किसानों का भविष्य दोनों खतरे में पड़ सकते हैं.

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Published: 26 Aug, 2025 | 10:33 AM

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