सरसों किसानों के लिए एडवाइजरी, इस अनुपात में डाले खाद.. एक एकड़ में 7 क्विंटल होगी उपज

ठंड के मौसम में किसान सरसों की बुवाई कर रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, खेत की सही तैयारी, उर्वरक और सिंचाई से 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार संभव है. सरसों तेल और खली दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. विभाग ने किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है.

नोएडा | Updated On: 29 Nov, 2025 | 04:41 PM

Jharkhand News: ठंड बढ़ते ही एक बार फिर से झारखंड के धनबाद जिले में किसानों ने सरसों की बुवाई शुरू कर दी है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार मौसम साथ दे रही है. ऐसे में पछेती बुवाई करने पर भी सरसों की अच्छी पैदावार होगी. हालांकि, ऐसे भी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय सरसों की बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना गया है. क्योंकि इस दौरान बुवाई के बाद सरसों के बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और उनके पौधों का विकास तेजी से होता है. इस बीच कृषि विभाग ने सरसों किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है.

एडवाइजरी में कहा गया है कि अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी और उर्वरक का सही इस्तेमाल  बहुत जरूरी है. एक एकड़ सरसों के खेत में 20 किलो नाइट्रोजन, 16 किलो फास्फोरस, 10 किलो पोटाश और 8 किलो सल्फर देना चाहिए. सल्फर दानों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा बढ़ाता है. सही सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और पौधों की नियमित देखभाल से पैदावार और बढ़ती है.

220 हेक्टेयर में सरसों की खेती करने का लक्ष्य

विशेषज्ञों के मुताबिक, सही तकनीकी प्रबंधन के साथ किसान एक एकड़ खेत से लगभग 6 से 7 क्विंटल सरसों की पैदावार  ले सकते हैं. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और प्रदेश में तिलहन उत्पादन भी मजबूत होगा. सरसों का तेल और खली दोनों ही कई उद्योगों के लिए जरूरी हैं, इसलिए इसका बाजार मूल्य स्थिर और लाभदायक रहता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, धनबाद जिले के सभी ब्लॉकों में करीब 220 हेक्टेयर में सरसों की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है.

एकड़ खेत में लगभग 2 किलो बीज की जरूरत

कृषि विभाग का मानना है कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीके अपनाएं, तो यह लक्ष्य आसानी से पूरा हो सकता है और पैदावार भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है. ठंड के दिनों में खेतों में पीले फूल खिलेंगे, जो किसानों की मेहनत और उनकी आर्थिक उन्नति दोनों को दर्शाएंगे. एडवाइजरी में कृषि विभाग ने कहा है इस बार धनबाद जिले के 10 ब्लॉकों में करीब 500 किसानों को सरसों के बीज दिए गए हैं. हर एकड़ खेत में लगभग 2 किलो बीज की जरूरत  होती है. धनबाद में बीबीएम-1 किस्म की सरसों सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह कम तापमान और स्थानीय मिट्टी के अनुसार अनुकूल है. 

तिलहन खेती को मिल रहा बढ़ावा

बता दें कि झारखंड सरकार ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार भी तिलहन की खेती को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. केंद्र सरकार खुद तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए तिलहन मिशन चला रही है. इस मिशन के तरह किसानों को सब्सिडी पर उन्नत किस्म के तिलहन के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

Published: 29 Nov, 2025 | 04:37 PM

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