नाग पंचमी पर लगती है इस गांव में अनोखी अदालत, जहां सांप खुद बताते हैं काटने की वजह

इस अद्भुत ‘नाग अदालत’ को देखने के लिए लोग न सिर्फ रायसेन और आसपास के जिलों से, बल्कि देश के कई हिस्सों से भी पहुंचते हैं. कुछ श्रद्धा से आते हैं, तो कुछ इस रहस्यमयी घटना को अपनी आंखों से देखने के कौतूहल से.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 29 Jul, 2025 | 12:17 PM

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के गांव सिहोरा में नाग पंचमी पर हर साल एक अलौकिक नजारा देखने को मिलता है. यहां के राम रसिया दरबार में दोपहर एक बजे लगती है नागों की अदालत, जिसे देखने और महसूस करने हजारों की संख्या में लोग देशभर से जुटते हैं.

यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि परंपरा और आस्था से जुड़ी सच्ची घटना मानी जाती है, जहां मान्यता है कि जिन लोगों को नाग या नागिन ने डसा होता है, वे सिहोरा दरबार पहुंचते हैं और वहां ‘पंडा’ के माध्यम से नाग स्वयं बताते हैं कि उन्होंने उस व्यक्ति को क्यों डसा.

जब नाग खुद सुनाते हैं “डसने” का कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दरबार में एक विशेष विधि होती है. पंडा नामक व्यक्ति जिसे नागों का माध्यम माना जाता है, नाग द्वारा डसे गए व्यक्ति की कांशी (धागा) बांधता है. माना जाता है कि ये कांशी नाग से जुड़ने का जरिया होती है. फिर जब नाग पंचमी आती है, तो यही कांशी खोलने का दिन होता है.

आज यानी नाग पंचमी के दिन, जिन लोगों को नाग-नागिन ने काटा था, वे कांशी खुलवाने दरबार में पहुंचते हैं. इस दौरान व्यक्ति विशेष स्थिति में आ जाता है, और नाग की तरह चलते हुए स्वयं बताता है कि उसे किस कारण से डसा गया जैसे कोई गलती, अपवित्रता या कोई पुराना दोष.

आस्था और कौतूहल का संगम

इस अद्भुत ‘नाग अदालत’ को देखने के लिए लोग न सिर्फ रायसेन और आसपास के जिलों से, बल्कि देश के कई हिस्सों से भी पहुंचते हैं. कुछ श्रद्धा से आते हैं, तो कुछ इस रहस्यमयी घटना को अपनी आंखों से देखने के कौतूहल से.

यहां हर साल हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे इकट्ठा होते हैं. दरबार के अंदर शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का माहौल होता है, जहां पंडा के सामने बैठा व्यक्ति नाग की तरह रेंगते हुए “नाग वाणी” में अपने ऊपर हुए प्रकोप का कारण खुद बताता है.

सांप और इंसान के रिश्ते को समझने का प्रयास

सिहोरा दरबार की यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांप और इंसान के रिश्ते को समझने का प्रयास भी है. यह आयोजन इस मान्यता को मजबूत करता है कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ हमारे कर्मों का गहरा संबंध होता है.

क्या कहता है स्थानीय विश्वास?

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह दरबार कई दशकों से इसी रूप में लगता आ रहा है और इसमें कोई नाटक या ढोंग नहीं होता. पंडा को नागों का माध्यम माना जाता है, और नाग पंचमी के दिन ही नाग देवता अपना संदेश उस व्यक्ति के माध्यम से प्रकट करते हैं जिसे उन्होंने डसा होता है.

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Published: 29 Jul, 2025 | 12:15 PM

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