Animal Husbandry Tips : खेती सिर्फ फसल तक सीमित नहीं, बल्कि पशुपालन भी किसानों की कमाई का मजबूत जरिया बन चुका है. कई किसान आज डेयरी फार्मिंग से लाखों रुपये महीना कमा रहे हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका कारण पशुओं की सही देखभाल और प्रबंधन की जानकारी का अभाव है. अगर किसान कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान दें, तो न केवल घाटा रुक सकता है, बल्कि दूध उत्पादन और मुनाफा दोनों तेजी से बढ़ सकते हैं.
ठंड से बचाव करें, नहीं तो बीमार हो जाएंगे पशु
ठंड का मौसम पशुओं के लिए बहुत संवेदनशील होता है. तापमान गिरने पर गाय, भैंस और बछड़ों को सर्दी-जुकाम, निमोनिया और बुखार जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए पशुओं को सूखी और गर्म जगह पर रखना जरूरी है. दिन के समय उन्हें धूप में रखें और रात में किसी बंद कमरे में जहां ठंडी हवा न लगे. बिछावन के लिए सूखा भूसा या पुआल इस्तेमाल करें ताकि वे आराम से रह सकें. इससे पशुओं की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और दूध की मात्रा पर असर नहीं पड़ता.
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समय पर करवाएं टीकाकरण, बचेगा इलाज का खर्चा
पशुओं को स्वस्थ रखने का सबसे आसान और असरदार तरीका है–समय पर टीकाकरण. टीकाकरण से पशुओं में फैलने वाली बीमारियों जैसे– खुरपका–मुंहपका, गलघोंटू, ब्लैक क्वार्टर और ब्रूसेलोसिस से सुरक्षा मिलती है. अगर बछड़ों को खांसी या निमोनिया जैसी समस्या दिखे, तो तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें. दूध देने के बाद थन को कीटाणुनाशक घोल से धोना भी बहुत जरूरी है, इससे संक्रमण फैलने की संभावना कम होती है. याद रखें-रोकथाम इलाज से बेहतर होती है.
आहार में रखें संतुलन, तभी मिलेगा अधिक दूध
पशु का स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पूरी तरह उसके आहार पर निर्भर करता है. रोजाना उन्हें हरा चारा और सूखा चारा संतुलित मात्रा में देना चाहिए. एक तिहाई सूखा चारा और बाकी हरा चारा देने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है. इसके अलावा, दाने में मक्का, जौ और गेहूं मिलाएं तथा खली में सरसों या मूंगफली की खली डालें. साथ ही 2 किलो खनिज लवण और 1 किलो नमक मिलाने से पशुओं को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. यह दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाता है.
दस्त या कमजोरी दिखे तो तुरंत करें इलाज
मौसम के बदलाव के दौरान पशुओं में दस्त या कमजोरी की समस्या आम है. इससे उनका शरीर कमजोर पड़ जाता है और दूध उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में देसी उपाय के तौर पर पशुओं को थोड़ी मात्रा में सरसों का तेल पिलाना फायदेमंद रहता है. लेकिन अगर स्थिति गंभीर हो, तो बिना देर किए पशु चिकित्सक से सलाह लें. समय पर इलाज से पशु जल्दी ठीक होते हैं और फार्म की उत्पादकता बनी रहती है.
स्वच्छता और पानी का रखें खास ध्यान
स्वच्छ वातावरण पशुपालन की सबसे अहम जरूरत है. गंदगी और नमी वाले स्थानों में बैक्टीरिया और कीट जल्दी फैलते हैं. इसलिए गोशाला को हमेशा साफ और सूखा रखें. पानी पीने के बर्तन और चारा डालने की जगह नियमित रूप से धोते रहें. ताजे और साफ पानी की उपलब्धता हर समय होनी चाहिए, क्योंकि पानी की कमी से पशुओं की पाचन क्रिया और दूध उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं.