उत्तर प्रदेश में इस बार दिवाली कुछ खास होने वाली है. वजह सिर्फ रोशनी और मिठाइयां नहीं, बल्कि योगी सरकार की एक नई सोच है, जो गायों की सेवा को रोजगार और पर्यटन से जोड़ने जा रही है. सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक-एक आदर्श गोशाला विकसित की जाएगी, जिसे टूरिस्ट स्पॉट के रूप में तैयार किया जाएगा. यानी आने वाले समय में लोग मंदिर या पार्क ही नहीं, बल्कि काऊ टूरिज्म का अनुभव लेने भी जाएंगे.
गोशाला बनेगी पर्यटन केंद्र, मिलेगा रोजगार
सरकार की योजना सिर्फ गायों की देखभाल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे रोजगार का साधन बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है. हर जिले में बनने वाली ये मॉडल गोशालाएं ऐसी होंगी जहां लोग घूमने आएंगे, स्थानीय उत्पाद खरीदेंगे और गांव के लोग इससे कमाई कर सकेंगे.
गोबर से दीये और सजावटी सामान
सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि दिवाली पर गोबर से बने दीये, मूर्तियां और सजावटी सामान को बढ़ावा दिया जाए. इसके लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि लोग चाइनीज लाइट्स की बजाय देसी गोबर उत्पादों का उपयोग करें. यानी वोकल फॉर लोकल का असली मतलब इस बार गांवों से निकलेगा.
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महिला समूहों को भी मिलेगा काम
सरकार की योजना में महिलाओं को भी अहम भूमिका दी जा रही है. इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को जोड़ा जाएगा और उन्हें गोबर व गोमूत्र से उपयोगी उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इन उत्पादों में जैविक खाद, धूपबत्ती, गोमूत्र से बनी फिनाइल, नैचुरल साबुन और पूजा सामग्री शामिल होगी. इससे गोशालाएं तो आत्मनिर्भर बनेंगी ही, साथ ही गांव की महिलाओं को घर बैठे रोजगार का स्थायी साधन भी मिल जाएगा
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई ताकत
पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह योजना गांवों की अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. पहले जिस गोबर को गांवों में कचरा समझकर फेंक दिया जाता था, अब वही आय का बड़ा साधन बनेगा. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलेगी और गोशालाएं भी सरकार की मदद पर निर्भर नहीं रहेंगी. इस पहल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गायों की बेहतर देखभाल हो सकेगी, गांवों में रोजगार पैदा होगा, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा. आने वाले दिनों में संभव है कि लोग गोवा या नैनीताल नहीं, बल्कि यूपी में काऊ सफारी घूमने आएं.