रबी सीजन पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ने को तैयार, गेहूं-दाल-तिलहन की बुवाई में जबरदस्त बढ़त

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर तक देश में कुल रबी फसलों का रकबा बढ़कर 306.31 लाख हेक्टेयर हो गया है. जबकि पिछले साल इसी समय यह आंकड़ा 272.78 लाख हेक्टेयर था. यानी रकबे में लगभग 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Nov, 2025 | 07:17 AM

Rabi Sowing: रबी सीजन की शुरुआत इस बार किसानों के लिए नई उम्मीदों और सकारात्मक संकेतों के साथ हुई है. मिट्टी में पर्याप्त नमी, बेहतर मौसम और सरकारी समर्थन ने किसानों के हौसले को और मजबूत कर दिया है. खेतों में बुवाई की रफ्तार तेज है और कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से यह साफ होता है कि इस साल रबी की खेती एक नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रही है.

गेहूं की बोआई में दमदार प्रदर्शन

रबी फसलों की सबसे प्रमुख फसल गेहूं इस बार बुवाई में सबसे आगे दिखाई दे रही है. अब तक 128.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया जा चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 107.79 लाख हेक्टेयर था. लगभग 19 फीसदी की बढ़ोतरी से यह साफ संकेत मिलता है कि किसान इस बार अधिक उत्पादन का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं. शुरुआती बुवाई के मजबूत आंकड़े खाद्यान्न सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद आशाजनक हैं.

अच्छी बारिश और भरे जलाशय बने आधार

इस साल दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून ने खेती को मजबूत सहारा दिया है. अक्टूबर और नवंबर के शुरुआती दिनों में मिली अधिक बारिश के कारण खेतों में नमी भरपूर है. इसके साथ ही देश के प्रमुख जलाशय 90 फीसदी क्षमता तक भरे होने से सिंचाई को लेकर किसानों को अतिरिक्त भरोसा मिला है. यही वजह है कि बुवाई का काम समय पर और तेजी से आगे बढ़ रहा है.

कुल रबी रकबा बढ़ा 12 फीसदी

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर तक देश में कुल रबी फसलों का रकबा बढ़कर 306.31 लाख हेक्टेयर हो गया है. जबकि पिछले साल इसी समय यह आंकड़ा 272.78 लाख हेक्टेयर था. यानी रकबे में लगभग 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस सप्ताह तक रबी फसलों के सामान्य 637.81 लाख हेक्टेयर का आधा हिस्सा कवर हो जाएगा.

दाल उत्पादन में भी अच्छी बढ़त

रबी की दूसरी बड़ी जरूरत दालें भी पीछे नहीं हैं. इस बार दालों का रकबा बढ़कर 73.36 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 68.15 लाख हेक्टेयर था. इसमें चना की बुवाई में 9 फीसदी वृद्धि प्रमुख कारण है. यह परिवर्तन देश की प्रोटीन संबंधी जरूरतों को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में सकारात्मक कदम है.

मोटे अनाज और किसान की समझदारी

मोटे अनाज यानी श्री अन्न के प्रति किसानों की रुचि लगातार बढ़ रही है. इस साल इनके रकबे में 14 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
मक्का: 5.38 से 6.57 लाख हेक्टेयर
ज्वार: उत्पादन क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़त

ये फसलें कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देने के लिए जानी जाती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलती है.

सरसों ने संभाला तिलहन मोर्चा

तिलहन क्षेत्र में भी इस बार सकारात्मक रुख देखने को मिला है. सरसों का रकबा  69.58 से 73.8 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा है. कुल तिलहन क्षेत्र में 5.4 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है. तेल उत्पादन बढ़ने से देश की तेल आयात निर्भरता घटाने में यह वृद्धि अहम भूमिका निभाएगी.

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