बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग अब किसानों और पशुपालकों को सिर्फ दूध बेचने तक सीमित न रहने की सलाह दे रहा है. विभाग का मानना है कि अगर किसान दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों और उप-उत्पादों का भी सही तरीके से उपयोग करें, तो वे अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं. यह न सिर्फ पशुपालन को फायदे का सौदा बनाएगा, बल्कि गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
सिर्फ दूध नहीं, उससे बनने वाले उत्पाद भी हैं फायदेमंद
अधिकतर किसान और पशुपालक सिर्फ दूध बेचकर ही सीमित आमदनी कमा पाते हैं. लेकिन अगर वे दूध से पनीर, घी, दही, मक्खन, खीर, मावा, मिठाई और लस्सी जैसे उत्पाद बनाकर बेचें, तो उन्हें बाजार में बेहतर दाम मिल सकता है. इन उत्पादों की डिमांड हमेशा बनी रहती है, खासकर त्योहारों, शादी-विवाह और धार्मिक अवसरों पर. ऐसे में दूध से तैयार चीजों को स्थानीय बाजार में बेचकर किसान अपनी रोज की कमाई बढ़ा सकते हैं.
उप–उत्पादों का करें बेहतर उपयोग, बढ़ेगा फायदा
दूध निकालने के बाद पशुपालन से मिलने वाले गोबर और मूत्र को भी कमाई का जरिया बनाया जा सकता है. गोबर से जैविक खाद, गोबर गैस और अगरबत्ती बनाई जा सकती है. गोमूत्र से कीटनाशक, दवाइयां और साबुन तैयार किए जा सकते हैं. बिहार सरकार का मानना है कि इन सह-उत्पादों का सही उपयोग कर किसान बिना कोई अतिरिक्त खर्च किए आय बढ़ा सकते हैं.
सरकार दे रही प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
पशुपालन निदेशालय द्वारा किसानों को दूध से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इस प्रशिक्षण में बताया जाता है कि कैसे दूध को खराब हुए बिना प्रोसेस किया जाए, कैसे पनीर या घी की गुणवत्ता बढ़ाई जाए और कैसे उसे बाजार तक पहुंचाया जाए. इसके अलावा विभाग की ओर से किसानों को छोटे उपकरण, कूलर, पैकिंग मशीनें और प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकारी सब्सिडी भी दी जा रही है.
बाजार की सीधी पहुंच से बढ़ेगी बिक्री
कई बार किसानों के उत्पाद अच्छे होते हैं, लेकिन बाजार तक सीधी पहुंच न होने के कारण उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता. इसी समस्या को दूर करने के लिए बिहार सरकार अब किसानों के उत्पादों को सहकारी समितियों, डेयरी फार्मों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए सीधे बाजार से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है. इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और किसानों को उनका पूरा लाभ मिलेगा.
पशुपालन को बनाएं एक सफल बिजनेस मॉडल
अब वक्त आ गया है कि किसान पशुपालन को सिर्फ एक पूरक व्यवसाय न मानें, बल्कि इसे एक मजबूत बिजनेस मॉडल के तौर पर अपनाएं. अगर दूध, गोबर, मूत्र और उससे बनने वाले हर उत्पाद का वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह व्यवसाय किसानों के लिए स्थायी आमदनी का मजबूत साधन बन सकता है. बिहार सरकार इस दिशा में नीति निर्माण, वित्तीय सहायता और मार्केटिंग सपोर्ट देने के लिए पूरी तरह तैयार है.