Animal Chocolate : गांवों में अक्सर लोग यह कहते नजर आते हैं कि काश पशु भी इंसानों की तरह चॉकलेट खाते. लेकिन अब यह बात कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुकी है. वैज्ञानिकों ने दुधारू पशुओं के लिए एक खास पशु चॉकलेट तैयार की है, जिसे चाटने से दूध बढ़ता है और सेहत भी बेहतर होती है. यह चॉकलेट इतनी अनोखी है कि इसे खाने की बजाय सिर्फ चाटना ही होता है, क्योंकि इसे चबाकर खाना कई बार पशु के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है. यही वजह है कि इसे इस्तेमाल करने के लिए किसानों को कुछ खास सावधानियां भी रखनी होती हैं.
दूध बढ़ाने वाली एनिमल चॉकलेट गांवों में चर्चा का विषय बनी
मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि यह पशु चॉकलेट दुधारू पशुओं के लिए एक तरह का विशेष पोषण ब्लॉक है, जिसे चाटते समय उनके शरीर में धीरे-धीरे जरूरी पोषक तत्व पहुंचते रहते हैं. अक्सर देखा गया है कि गाय-भैंस को चारा तो मिल जाता है, लेकिन शरीर में खनिज और ऊर्जा की कमी बनी रहती है, जिसका सीधा असर दूध पर पड़ता है. इसी समस्या को देखते हुए वैज्ञानिकों ने ऐसा चॉकलेट ब्लॉक बनाया है, जो पशु के शरीर की सभी जरूरी जरूरतों को पूरा करता है और दूध का स्तर बढ़ाने में मदद करता है. कई किसान इसे दूध बढ़ाने वाला टॉनिक भी कहने लगे हैं.
कैसे बनती है यह खास चॉकलेट और क्यों है इतनी फायदेमंद?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह चॉकलेट वैज्ञानिक तकनीक से बनाई जाती है ताकि हर पशु को संतुलित पोषण मिल सके. इसे यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक कहा जाता है और इसमें मिनरल मिक्सचर, गेहूं की चूनी, चोकर और गुड़ की राब मिलाकर तैयार किया जाता है. यह पूरी तरह सख्त ब्लॉक होता है जिसे पशु धीरे-धीरे जीभ से चाटते रहते हैं. चाटने की प्रक्रिया के दौरान इसमें मौजूद यूरिया नाइट्रोजन में बदलता है और नाइट्रोजन आगे प्रोटीन बनाने में काम आता है. यही प्रोटीन पशु की ताकत बढ़ाने, मांसपेशियों को मजबूत करने और दूध बनने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करता है. कई कृषि रिपोर्टों में बताया गया है कि इस चॉकलेट के सही इस्तेमाल से दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार दिखता है.
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चाटें तो फायदा, खाएं तो नुकसान
मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि यह चॉकलेट दुधारू गाय, भैंस, बकरी और भेड़ जैसे वयस्क जुगाली करने वाले पशुओं के लिए ही बनाई गई है. इसे हमेशा चारे के पास रखना चाहिए ताकि पशु चारा खाते समय इसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चाटते रहें. लेकिन कई बार कुछ पशु इसे चाटने की बजाय खाने लगते हैं. अगर वे इसे एक बार में खा लें, तो यह उनके पाचन तंत्र पर बुरा असर डाल सकता है और पेट में गैस, दस्त या बदहजमी जैसी समस्या भी हो सकती है. इसलिए जो पशु इसे खाने की कोशिश करें, उन्हें इस चॉकलेट से दूर रखना चाहिए. साथ ही इसे खाली पेट कभी नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे शरीर पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. छह महीने से कम उम्र के बच्चों को भी यह चॉकलेट नहीं देनी चाहिए.
दूध बढ़ाने के साथ सेहत पर भी होता है बड़ा असर
मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि यह चॉकलेट सिर्फ दूध बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि पशुओं की पूरी सेहत सुधारने के लिए बनाई गई है. यह पशु के शरीर की ताकत बढ़ाती है, रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाती है और शरीर की कमजोरी को दूर करती है. इसके नियमित इस्तेमाल से दूध की मात्रा स्थिर रहती है और ज्यादातर मामलों में बढ़ती भी है. इसके साथ ही पशु की प्रजनन क्षमता पर भी सकारात्मक असर देखा गया है. कई किसानों के अनुभव बताते हैं कि इस चॉकलेट को चाटने वाले पशु जल्दी गर्भाधान में आते हैं और बच्चे भी स्वस्थ पैदा होते हैं. इसलिए अब यह चॉकलेट गांवों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है और किसान इसे पशुओं के लिए एक तरह का पोषण टॉनिक मानने लगे हैं.