महंगाई की मार से बेहाल पाकिस्तान! 75 रुपये का एक टमाटर और 750 रुपये किलो बिक रही अदरक

पाकिस्तान सरकार पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है. विदेशी कर्ज, बढ़ती बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता ने देश की स्थिति और बिगाड़ दी है. अब खाद्य संकट ने हालात को और गंभीर बना दिया है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर सीमा विवाद और आयात नीति में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में खाने-पीने की चीजें और महंगी हो सकती हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Oct, 2025 | 11:00 AM

Pakistan inflation 2025: पाकिस्तान इन दिनों ऐसी महंगाई की आग में झुलस रहा है, जिसने आम लोगों की रसोई की रौनक छीन ली है. हालत ये है कि जिस टमाटर को कभी सब्जी में जायका बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, वही अब लोगों के लिए एक ‘लक्जरी आइटम’ बन गया है. बाजारों में टमाटर की कीमत 600 से 700 रुपये किलो तक पहुंच गई है यानी एक टमाटर की कीमत करीब 75 रुपये! महज एक महीने में 400 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी लोगों के लिए झटका बन गई है. अब रसोई में हर टमाटर को संभालकर रखना पड़ रहा है, मानो वो सोने के दाम पर मिल रहा हो.

सीमा विवाद ने बढ़ाया संकट

टमाटर की कीमतों में इस अचानक उछाल की सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार बंद होना है. 11 अक्टूबर से दोनों देशों की सीमा पर झड़पें और पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान में हवाई हमलों के बाद व्यापार पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. रीब 2,600 किलोमीटर लंबी इस सीमा से हर दिन लाखों टन सामान आता-जाता था, जिसमें सब्जियां, अनाज, दूध, दवाइयां और मांस शामिल हैं. अफगानिस्तान से आने वाले टमाटर और अन्य सब्जियों की आपूर्ति रुकने से पाकिस्तानी बाजारों में भारी कमी हो गई है.

इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता से भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया, और सीमाएं अब भी बंद हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इस व्यापार ठप होने से दोनों देशों को करीब 10 लाख डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) का नुकसान हर दिन हो रहा है.

हर सब्जी के दाम हुए ‘आसमान छूने’ वाले

टमाटर ही नहीं, बल्कि अन्य सब्जियों के दाम भी अब आम लोगों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार लहसुन 400 रुपये किलो, अदरक 750 रुपये किलो, मटर 500 रुपये किलो, और प्याज 120 रुपये किलो बिक रही है. यहां तक कि हरा धनिया भी 50 रुपये की छोटी गड्डी में मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिवारों ने शिकायत की है कि अब वे सब्जियां कम खरीदते हैं या एक-दूसरे से साझा करके लेते हैं. लोगों का कहना है कि “अब टमाटर डालना भी सोच-समझकर पड़ता है.”

संसद तक पहुंचा टमाटर संकट

महंगाई से त्रस्त जनता की आवाज अब पाकिस्तान की संसद तक पहुंच चुकी है. हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक सांसद टमाटर हाथ में लेकर कहते दिखे “इसे यहां तक लाना बहुत मुश्किल था. हमारे साथी फारुख़ साहब का शुक्रिया, जिन्होंने इसे लाने की व्यवस्था की. ये टमाटर 75 रुपये का है.” इस बयान के बाद संसद में खूब हंसी भी गूंजी, लेकिन आम जनता के लिए यह कोई मजाक नहीं, बल्कि रोजमर्रा की हकीकत है. कई सांसदों ने यहां तक कहा कि “अब तो टमाटर खरीदने के लिए लोन लेना पड़ेगा.”

कभी भारत से सस्ते टमाटर आयात करने वाला पाकिस्तान अब खुद टमाटर की किल्लत से जूझ रहा है. सरकार पर विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि उसने सही समय पर आयात या व्यापारिक कदम नहीं उठाए, जिसकी वजह से महंगाई ने रफ़्तार पकड़ ली.

सरकार के लिए बड़ी चुनौती

पाकिस्तान सरकार पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है. विदेशी कर्ज, बढ़ती बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता ने देश की स्थिति और बिगाड़ दी है. अब खाद्य संकट ने हालात को और गंभीर बना दिया है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर सीमा विवाद और आयात नीति में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में खाने-पीने की चीजें और महंगी हो सकती हैं. किस्तान में टमाटर का यह ‘लाल संकट’ अब सिर्फ एक सब्जी का मामला नहीं रहा,यह देश की आर्थिक अस्थिरता और आम जनता की बढ़ती परेशानी का प्रतीक बन चुका है.

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