Navratri Day 2 Pooja Vidhi: नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के दिव्य स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है.मां ब्रह्मचारिणी ने अपने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में एक जल का पात्र थामा हुआ है. इनका चेहरा शांत, गंभीर और तेजस्वी है. हिंदू मान्यता के अनुसार, देवी का ये स्वरूप उस समय का प्रतीक है जब मां पार्वति ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. भक्त मां को खुश करने के लिए उन्हें भोग में पंचामृत चढ़ाते हैं. ऐसे में आइये जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की विधि और ध्यान मंत्र.
कैसे करें मां की पूजा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनकर मंदिर या पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें. इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति को या चित्र को पूर्व दिशा की ओर रखें. मां की मूर्ति के आगे दीया जलाएं और रोली, अक्षत, चंदन, फूल और बेलपत्र चढ़ाएं. देवी को सफेद और पीला रंग अत्यंत प्रिय है. पूजा करते समय संभव हो तो इन रंगों के कपड़े पहनें.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बेहद ही शांत और सरल है. गाय पर सवार मां ब्रह्मचारिणी सफेद रंग के वस्त्र धारण करती हैं, जो कि उनके सरल स्वभाव और पवित्रता का प्रतीक हैं. मां अपने दाहिने हाथ में जपमाला धारण किए हुए हैं , जो कि भक्ति और साधना का प्रतीक है वहीं मां के बाएं हाथ में कमंडल है, जो कि तपस्या और संयम को दर्शाता है.
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शांत और सरल है मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप (Photo Credit- Canva)
भोग में चढ़ाएं पंचामृत
मां ब्रह्मचारिणी को भोग में खासतौर पर पंचामृत चढ़ाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पंचामृत शुद्धता, पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है. मां को इसका भोग लगाने से भक्त को मानसिक शांति, ध्यान में सफलता और सकारात्मक उर्जा मिलती है. इसके अलावा मां को मीठा बहुत पसंद होता है इसलिए उन्हें मिठाइ, गुड़ या फिर मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
हिंदू मान्यता के अनुसार देवी पूजा में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः’ का जप जरूर करें. इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें. इसके साथ ही अगर आप मां का ध्यान कर रहे हैं तो इस ध्यान मंत्र का जप करें.
धरान्नलंकृताम् पद्माश्रितामण्डलावृताम्।
तपःशक्त्युपसंयुक्तां ब्रह्मचारिणिमाश्रये॥
इस ध्यान मंत्र का अर्थ है कि, मैं उस देवी ब्रह्मचारिणी की शरण लेता हूं, जो तपस्या की शक्ति से युक्त हैं, हाथों में कमंडल और रूद्राक्ष की माला धारण करती हैं और शांत स्वरूप में विराजमान हैं.