यूरिया संकट पर सियासत: तेलंगाना ने केंद्र पर लगाया भेदभाव का आरोप, किसान परेशान

तेलंगाना सरकार का आरोप है कि यह सिर्फ आपूर्ति की समस्या नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक भेदभाव भी शामिल है. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार और कांग्रेस सांसद कई बार इस मुद्दे को संसद और केंद्रीय मंत्रियों के सामने उठा चुके हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 22 Aug, 2025 | 09:06 AM

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और राज्य के कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि केंद्र ने यूरिया की जितनी मात्रा का वादा किया था, उतनी आपूर्ति नहीं की गई. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य को खरीफ सीजन के लिए 8.30 लाख मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन मिला था, लेकिन अब तक केवल 5.32 लाख मीट्रिक टन ही मिला है. यानी करीब 3 लाख मीट्रिक टन की कमी बनी हुई है.

घरेलू और वैश्विक कारण

द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कृषि मंत्री नागेश्वर राव का कहना है कि यूरिया संकट के पीछे कई वजहें हैं. एक ओर भारत के घरेलू यूरिया संयंत्रों में उत्पादन प्रभावित हुआ है, तो दूसरी ओर वैश्विक हालात भी ठीक नहीं हैं. चीन, जो भारत के यूरिया आयात का करीब 70 फीसदी हिस्सा पूरा करता है, फिलहाल निर्यात नहीं कर रहा. इसका सीधा असर किसानों तक पहुंचने वाली आपूर्ति पर पड़ा है.

राजनीति का तड़का

तेलंगाना सरकार का आरोप है कि यह सिर्फ आपूर्ति की समस्या नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक भेदभाव भी शामिल है. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार और कांग्रेस सांसद कई बार इस मुद्दे को संसद और केंद्रीय मंत्रियों के सामने उठा चुके हैं. उन्होंने खुद भी केंद्रीय उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया.

रेवंत ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने संसद में तेलंगाना के किसानों के समर्थन में आवाज उठाई.

केंद्र का जवाब

वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि यूरिया का आयात जारी है और किसानों तक इसे सही ढंग से पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं. केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आरोप लगाया कि राज्य के मंत्री बार-बार कमी की बात कहकर अवैध भंडारण और जमाखोरी को बढ़ावा दे रहे हैं.

किसानों की नजर समाधान पर

किसानों का कहना है कि राजनीति चाहे जो भी हो, उन्हें समय पर यूरिया चाहिए. खरीफ सीजन का हर दिन उनके लिए कीमती है. अगर जल्द ही आपूर्ति सामान्य नहीं हुई, तो फसल पर बुरा असर पड़ेगा और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.

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