स्टेग बीटल दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा, दुर्लभ कीट की कीमत चौंका देगी आपको

स्टेग बीटल नाम का एक दुर्लभ कीड़ा अपनी अनोखी बनावट और सांस्कृतिक मान्यता के कारण बेहद महंगा बिकता है. इसकी कीमत 75 लाख रुपये तक जाती है. जापान जैसे देशों में इसे सौभाग्य का प्रतीक और स्टेटस सिंबल माना जाता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 31 Aug, 2025 | 08:10 PM

सोचिए, अगर आपसे कोई कहे कि एक कीड़ा बेचकर आप टोयोटा फॉर्च्यूनर जैसी महंगी गाड़ी खरीद सकते हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे? सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन स्टेग बीटल नाम का कीड़ा वाकई इतना महंगा बिकता है कि उसकी कीमत सुनकर होश उड़ जाएं. कुछ लोग तो इसे किस्मत बदलने वाला कीड़ा भी कहते हैं.

इसकी अनोखी बनावट, सांस्कृतिक मान्यता और कम संख्या ने इसे दुनिया के सबसे कीमती कीड़ों में शुमार कर दिया है. आइए जानते हैं इस अनोखे कीड़े की पूरी कहानी- कहां मिलता है, क्यों इतना महंगा है और क्या भारत में भी पाया जाता है?

स्टेग बीटल क्या है और कहां पाया जाता है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्टेग बीटल, जिसे वैज्ञानिक रूप से Lucanidae परिवार में रखा जाता है, एक विशेष प्रकार का कीड़ा है जिसकी 1,200 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. यह कीड़े मुख्य रूप से यूरोप, एशिया और अमेरिका के जंगलों में पाए जाते हैं. भारत में यह कीड़ा असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिमी घाट जैसे इलाकों में देखने को मिलता है.

इसका नाम स्टेग इसलिए पड़ा क्योंकि नर बीटल के पास बड़े-बड़े जबड़े होते हैं, जो हिरण के सींगों की तरह दिखते हैं. नर 35 से 75 मिमी तक और मादा 30 से 50 मिमी तक लंबी होती है. इनका जीवनकाल 3 से 7 साल तक का होता है.

इतनी ज्यादा कीमत क्यों? जानिए इसके पीछे की वजह

स्टेग बीटल की कुछ प्रजातियां इतनी दुर्लभ और खास हैं कि उनकी कीमत 75 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है. 1999 में टोक्यो में Dorcas Hopei नाम की एक दुर्लभ प्रजाति $90,000 (लगभग 75 लाख रुपये) में बिकी थी.

यह कारण हैं इतनी महंगाई के पीछे-

  • दुर्लभता: जंगलों की कटाई और पर्यावरण बदलाव के चलते यह कीड़ा अब बहुत कम जगहों पर मिलता है.
  • कलेक्टर्स की डिमांड: जापान जैसे देशों में इसे पालतू और स्टेटस सिंबल माना जाता है. वहां इसे लड़ाई के लिए भी तैयार किया जाता है.
  • सांस्कृतिक महत्व: जापान और अन्य देशों में इसे सौभाग्य और धन का प्रतीक माना जाता है.
  • चिकित्सा उपयोग: पारंपरिक दवाओं में भी इसका उपयोग होने की बातें सामने आती हैं.
  • पालन की कठिनाई: इसका लार्वा चरण 2-5 साल लंबा होता है और वयस्क केवल कुछ ही महीनों में मर जाते हैं. इस कारण इसका प्रजनन बेहद चुनौतीपूर्ण है.

भारत में स्टेग बीटल की स्थिति और नियम

भारत में स्टेग बीटल पूर्वोत्तर और हिमालयी इलाकों में पाया जाता है, लेकिन यहां इसे पालतू की तरह रखने का चलन नहीं है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मांग के चलते इसका अवैध व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है.

यह संभव है कि भारत में इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति माना गया हो, जिससे इसका शिकार और व्यापार गैरकानूनी हो सकता है. इसलिए इसे पकड़ना, बेचना या पालतू बनाना कानूनन जुर्म हो सकता है.

सिर्फ कीमती नहीं, फायदेमंद भी

स्टेग बीटल न सिर्फ महंगा है, बल्कि यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बहुत उपयोगी है. यह सड़ी-गली लकड़ी को खाकर जंगल में पोषक तत्वों के चक्रण में मदद करता है. ये जीवित पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाते, जिससे यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद होते हैं.

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Published: 31 Aug, 2025 | 08:10 PM

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