Blood Rain: पानी नहीं, यहां आसमान से बरसी खून जैसी बारिश! जानिए क्या है वजह?

प्राचीन समय में इस बारिश को किसी अनहोनी का संकेत माना जाता था. होमर की ‘इलियड’ और 12वीं सदी के कई ग्रंथों में इसे बुरी घटना के रूप में लिखा गया है. लेकिन 17वीं सदी के बाद वैज्ञानिक शोधों ने इसे प्राकृतिक घटना के रूप में समझाया.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 25 Aug, 2025 | 02:53 PM

दुनियाबर में कई जगहों पर लाल या भूरी बारिश देखी जाती रही है, जिसे आम भाषा में ‘खूनी बारिश’ (ब्लड रेन) कहा जाता है. शुरुआत में यह देखकर कई लोग डर जाते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कोई नई या असामान्य घटना नहीं है. आइए जानते हैं कि यह होती कैसे है, क्यों होती है और इसके पीछे के विज्ञान की कहानी.

खूनी बारिश क्या होती है?

‘खूनी बारिश’ वह बारिश होती है जिसमें रेगिस्तानी धूल और मिट्टी के कण पानी के साथ मिलकर गिरते हैं. इसका पानी लाल, हल्का भूरा या पीला नजर आ सकता है. जब यह बारिश सूख जाती है, तो यह पतली धूल की परत छोड़ देती है, जो घरों, गाड़ियों और बगीचों को ढक देती है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह मुख्य रूप से सहारा रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल के कारण होती है. तेज हवाओं के चलते यह धूल बादलों तक पहुंच जाती है और बारिश के साथ गिरने लगती है.

लाल के अलावा और भी रंग

हर खूनी बारिश लाल नहीं होती. सहारा और अन्य रेगिस्तानों की मिट्टी के विभिन्न रंगों की वजह से यह कभी पीली, भूरी या हल्की लाल भी हो सकती है. हालांकि, गहरा लाल रंग बहुत ही दुर्लभ होता है.

पहले इसे अशुभ माना जाता था

प्राचीन समय में इस बारिश को किसी अनहोनी का संकेत माना जाता था. होमर की ‘इलियड’ और 12वीं सदी के कई ग्रंथों में इसे बुरी घटना के रूप में लिखा गया है. लेकिन 17वीं सदी के बाद वैज्ञानिक शोधों ने इसे प्राकृतिक घटना के रूप में समझाया.

विज्ञान के नजरिए से

आज वैज्ञानिक इसे मौसम प्रणाली और धूल के मिश्रण से जोड़कर समझाते हैं. अगर बारिश हल्की होती है, तो धूल की परत साफ दिखती है और इसे खूनी बारिश कहा जाता है. तेज बारिश में धूल बहकर निकल जाती है, जिससे कोई खास असर दिखाई नहीं देता.

खूनी बारिश यानी ‘ब्लड रेन’ दुनिया में कई जगहों पर रिकॉर्ड की गई है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां रेगिस्तानी धूल हवाओं के जरिए बादलों तक पहुंचती है. यहां कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:

भारत में भी हुई है खूनी बारिश

2001 में केरल में मानसून के दौरान हफ्तों तक लाल बारिश हुई थी. उस समय यह इतना प्रभावशाली था कि कपड़े और घरों की सतहें दागदार हो गई थीं. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह धूल अरब प्रायद्वीप से आई थी. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि इसमें जैविक कण भी शामिल हो सकते थे. तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में समय-समय पर हल्की भूरी या लाल बारिश दर्ज हुई है.

अन्य देशों में खूनी बारिश

इटली: रोम और आसपास के इलाकों में लाल बारिश हुई, जो सहारा रेगिस्तान की धूल से जुड़ी थी.

स्पेन और ग्रीस: सहारा रेगिस्तान की धूल हवाओं के साथ यूरोप के दक्षिणी हिस्सों में पहुंचती है, जिससे बारिश का रंग बदल जाता है.

क्यूबा और जामैका: कैरिबियन में भी कभी-कभी लाल या भूरी बारिश देखी जाती है.

सहारा रेगिस्तान के आसपास के देश: मॉरिटानिया, मोरक्को और अल्जीरिया में भी धूल भरी बारिश सामान्य है.

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Published: 25 Aug, 2025 | 01:23 PM

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