क्या 2025 बनेगा रिकॉर्ड गर्म साल? फसलों और बर्फबारी पर मंडरा रहा खतरा

भारत में हाल ही में हुई बारिश से हालांकि किसानों को थोड़ी राहत मिली है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे ग्रीष्मकालीन फसलें जैसे मूंग, मक्का और धान को फायदा हो सकता है.

नई दिल्ली | Published: 23 May, 2025 | 11:09 AM

साल 2025 की शुरुआत के साथ ही धरती पर गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे. तापमान हर महीने नया रिकॉर्ड बना रहा है, जिससे वैज्ञानिकों को यह अंदेशा है कि यह साल भी अब तक के सबसे गर्म वर्षों में शामिल हो सकता है. यह जानकारी अमेरिका की मशहूर संस्था NOAA की एक रिपोर्ट से सामने आई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल 2025 तक धरती की सतह का औसत तापमान 1.28 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा, जो बीते 176 वर्षों के रिकॉर्ड में दूसरा सबसे अधिक है. इससे पहले 2024 की शुरुआत सबसे गर्म रही थी, जिसमें तापमान सामान्य से 1.34 डिग्री ऊपर था.

मौसम वैज्ञानिकों की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है, और यह बदलाव सिर्फ मौसम तक सीमित नहीं है बल्कि इसका असर बर्फबारी, फसलों और हमारे रोजमर्रा के जीवन पर भी साफ दिखने लगा है.

कहां-कहां दिखा असर?

सबसे ज्यादा तापमान में बढ़ोतरी एशिया, आर्कटिक महासागर, उत्तरी कनाडा और यूरोप जैसे इलाकों में दर्ज की गई, जहां यह सामान्य से 2.5 डिग्री तक ज्यादा था. इतना ही नहीं, उत्तरी गोलार्ध (Earth का ऊपरी हिस्सा) में बर्फ की चादर भी लगातार पतली होती जा रही है. इस बार बर्फ का फैलाव सामान्य से 8.2 लाख वर्ग मील कम रहा.

ग्रीनलैंड और यूरेशिया जैसे क्षेत्रों में भी बर्फ की भारी कमी दर्ज की गई है, जिससे साफ पता चलता है कि जलवायु में बड़े स्तर पर बदलाव हो रहे हैं.

क्या भारत पर पड़ेगा असर?

भारत में हाल ही में हुई बारिश से हालांकि किसानों को थोड़ी राहत मिली है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे ग्रीष्मकालीन फसलें जैसे मूंग, मक्का और धान को फायदा हो सकता है. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का मिजाज अब बेहद अनिश्चित और गंभीर होता जा रहा है.