केंद्र सरकार ने किसानों को उनकी उपज की सही कीमत दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी तय कर रखा है. हर फसल का भाव तय किया गया है, जिसपर मंडी में व्यापारी या सरकारी उपज की खरीद करेगी. लेकिन, विपरीत मौसम और आवक बढ़ने की स्थिति पर किसानों को कई मौकों पर तय एमएसपी से कम दाम पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है. इससे किसानों को नुकसान होता है और उन्हों केंद्र की एमएसपी का लाभ नहीं मिल पाता है. किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने भावांतर योजना लागू कर दी है. फिलहाल सोयाबीन किसानों के लिए भावांतर योजना का लाभ दिया जाएगा.
मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान सोयाबीन की खेती करते हैं और किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिलने की शिकायतें लगातार सरकार से की जा रही है. कई किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किए हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने सोयाबीन किसानों को एमएसपी से कम भाव की स्थिति में नुकसान से बचाने के इरादे से भावांतर योजना को लागू किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों का कल्याण सरकार की प्राथमिकता है. सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए भावांतर योजना लागू की जा रही है.
सोयाबीन किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं मिलने पर भरपाई होगी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को सोयाबीन का उचित मूल्य दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोयाबीन के लिए एमएसपी प्रति क्विंटल 5328 रुपए घोषित की है. किसान संघों के सुझाव पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष सोयाबीन किसानों को भावांतर का लाभ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसानों को किसी भी हालत में घाटा नहीं होने देंगे.
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भावांतर योजना में किसानों का पंजीयन जरूरी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसान पहले की तरह मंडियों में सोयाबीन की बिक्री करेगा. अगर एमएसपी से कम कीमत पर सोयाबीन बिकता है तो किसानों के घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत सरकार की ओर से की जाएगी. फसल के बिक्री मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP के अंतर की राशि सीधे सरकार देगी. उन्होंने कहा कि भावांतर योजना में किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जा रही है.

सीएम ने लागू की भावांतर योजना.
ऐसे नुकसान का आकलन करेगी सरकार
मंडी में औसत गुणवत्ता की कृषि उपज का बिक्री मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो लेकिन राज्य सरकार की ओर से घोषित औसत मॉडल भाव से अधिक हो तो किसान को केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य और वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर के नुकसान की भरपाई की जाएगी. यदि मंडी में कृषि उपज का बिक्री मूल्य राज्य सरकार की ओर से घोषित औसत मॉडल भाव से भी कम हो तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य और घोषित औसत मॉडल भाव के अंतर के नुकसान की भरपाई की जाएगी.
पीले मोजेक से हुए नुकसान का सर्वे
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पूर्व में भी फसलों की क्षति पर किसानों को राहत राशि प्रदान की गई है. किसान हितैषी निर्णय पहले भी लिए गए हैं. बाढ़ से प्रभावित किसानों को भी सहायता दी गई. सकंट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार सदैव खड़ी है. पीले मोजेक रोग से सोयाबीन फसल को हुए नुकसान के लिए भी सर्वे करवाया जा रहा है. किसानों को प्रभावित फसलों के लिये आवश्यक राहत प्रदान की जाएगी.