यूरोपियन यूनियन एशियाई देशों से आयातित चावल पर लगाएगा रोक, भारत को होगा ज्यादा नुकसान

EU भारत, पाकिस्तान और एशियाई देशों से चावल आयात पर सेफगार्ड सिस्टम लागू करने जा रहा है. बढ़ते आयात और स्थानीय मिलर्स की सुरक्षा के लिए MFN टैरिफ लगाया जाएगा. यह कदम 2027 से लागू होगा और इससे भारत के पैक्ड व हस्क्ड राइस निर्यात पर बड़ा असर पड़ सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 7 Dec, 2025 | 09:01 AM

Rice export: यूरोपियन यूनियन (EU) अपने किसानों और मिल मालिकों को बचाने के लिए भारत, पाकिस्तान और दूसरे एशियाई देशों से चावल के इंपोर्ट पर रोक लगाने वाला है. खास बात यह है कि ये रोक एक सेफगार्ड सिस्टम के जरिए लगाई जाएगी. यह कदम तब उठाया गया है जब EU ने भारत के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) करने का वादा किया है. EU की नई योजना के तहत बासमती और गैर-बासमती, दोनों तरह के चावल के आयात पर एक खास ऑटोमैटिक सेफगार्ड सिस्टम लागू किया जाएगा. अगर EU में चावल का आयात पुराने औसत से बहुत ज्यादा बढ़ गया, तो यह तंत्र सक्रिय हो जाएगा और चावल की खेप पर MFN टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे यूरोपीय बाजार को सुरक्षा मिलेगी.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव को अब यूरोपीय परिषद और संसद की मंजूरी मिलेगी. नया नियम 1 जनवरी 2027 से लागू होगा. EU परिषद के एक नोट (12 नवंबर 2025) के मुताबिक, यूरोपीय संघ तीसरे देशों से लगभग 15 लाख टन चावल आयात  करेगा, जिनमें मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान और EBA देशों खासकर म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं. इन देशों को हर तरह के चावल और उसकी प्रोसेसिंग पर जीरो कस्टम ड्यूटी का लाभ मिलता है.

स्पेशल राइस की बिक्री लगभग 48,000 टन

विश्लेषक के अनुसार, यूरोप का चावल बाजार अब मुक्त बाजार से सिमटकर कुछ बड़े खिलाड़ियों के नियंत्रण में जा सकता है. इससे यूरोप के चंद मिलर्स को फायदा होगा, लेकिन भारत के पैक्ड और हस्क्ड चावल निर्यातकों  पर असर पड़ेगा. हर साल लगभग 1.42 लाख टन पैक्ड चावल यूरोप भेजा जाता है, जिसमें बासमती, पोंनी और सोना मसूरी जैसे स्पेशल राइस की बिक्री लगभग 48,000 टन है. EU ने म्यांमार और कंबोडिया से आने वाले चावल पर 2019 में सेफगार्ड ड्यूटी लगाई थी, जो 2022 में खत्म हो गई. मौजूदा प्रस्तावों पर बातचीत भी 2022 में ही शुरू हुई थी.

EU सिर्फ 6 लाख टन चावल आयात करता था

2004-05 में GATT के आर्टिकल 28 के तहत हुई बातचीत के समय EU सिर्फ 6 लाख टन चावल आयात करता था. आज उसका आयात बढ़कर 23 लाख टन हो गया है. उस समय कंबोडिया और म्यांमार वैश्विक बाजार में नहीं थे, लेकिन अब दोनों मिलकर 10 लाख टन चावल भेजते हैं. EU के नोट में मानवाधिकार उल्लंघन, बाल श्रम और ट्राइसाइक्लाजोल जैसे प्रतिबंधित रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल जैसी समस्याओं का भी जिक्र किया गया है. व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और कंबोडिया को निशाना बनाता है.

कुल निर्यात का 90 फीसदी हिस्सा ब्राउन राइस

भारत और पाकिस्तान के लिए परेशानी यह है कि 2004-05 में उनके कुल निर्यात का 80 से 90 फीसदी हिस्सा ब्राउन या हस्क्ड राइस था, जो अब घटकर 50 फीसदी रह गया है और इसकी जगह मिल्ड राइस  का निर्यात बढ़ गया है. वहीं, इन दोनों देशों का कुल चावल निर्यात भी 2004 के मुकाबले पांच गुना बढ़ चुका है. दूसरी तरफ, थाईलैंड और वियतनाम की सप्लाई लगभग स्थिर है, इसलिए उन पर इसका असर कम पड़ेगा.

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