गांव की मिट्टी में आज भी ऐसी ताकत है कि अगर सही जानकारी मिल जाए, तो किसान लाखों कमा सकते हैं. मछली पालन यानी फिश फार्मिंग ऐसी ही एक कमाल की तकनीक बन चुकी है, जो अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही. आधे एकड़ तालाब से सिर्फ 30 हजार रुपये लगाकर 6 महीने में 3 लाख तक कमाई की जा सकती है. यही वजह है कि अब गांवों में भी मछली पालन को लोग एक जबरदस्त स्टार्टअप की तरह देखने लगे हैं.
कम लागत वाला बिजनेस, कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मछली पालन में मेहनत भी कम है और रिस्क भी ज्यादा नहीं होता, बस शुरुआती जानकारी होनी चाहिए. एक बार तालाब तैयार हो गया तो बस समय–समय पर पानी, ऑक्सीजन और मछली के दाने का ध्यान रखना होता है. मछली पालन धीरे–धीरे किसानों की मुख्य कमाई का जरिया बन रहा है क्योंकि 6 महीने में ही तैयार माल बिक जाता है और पैसा तुरंत हाथ में आता है.
तालाब और मछली चयन सबसे जरूरी
एक अच्छा तालाब ही मछली पालन की असली नींव है. गर्मी के मौसम में तालाब की सफाई कर लें ताकि बरसात में साफ पानी भर सके. एक्सपर्ट्स यह सलाह देते हैं कि मछली का बीज बड़ा हो तो उसकी मृत्यु दर बहुत कम होती है. उंगली आकार की मछलियों (फिंगर लिंग) को तालाब में डालना ज्यादा फायदेमंद होता है. रोहु, कतला और मृगल जैसी भारतीय प्रजातियां सबसे भरोसेमंद और उत्पादन देने वाली मानी जाती हैं.
आधे एकड़ में 3 लाख तक कमाई कैसे?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आधे एकड़ तालाब में लगभग 25 से 30 हजार मछलियां डाली जा सकती हैं. मार्केट में 1000 मछली के बीज 600 से 800 रुपये में मिल जाते हैं. सही देखभाल करने पर 6 महीने में एक मछली लगभग 1 किलो तक की हो जाती है. बाजार में मछली आराम से 120 से 180 रुपये किलो के बीच बिकती है. ऐसे में खर्च मात्र 30 हजार, जबकि कमाई 3 लाख रुपये से भी ऊपर हो सकती है.
सरकार दे रही सब्सिडी और तकनीक
भारत सरकार और कई राज्य सरकारें मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 40 फीसदा से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध कराती हैं. उत्तर प्रदेश में महिलाओं को एयरेशन सिस्टम लगाने पर 50 से 60 प्रतिशत तक का अनुदान मिलता है जिससे तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और मछलियों का उत्पादन लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. मत्स्य विभाग नई तालाब निर्माण, मशीनरी खरीद और मछली बीज की लागत में भी सहायता देता है. इस सब्सिडी और तकनीकी मदद के कारण फिश फार्मिंग ग्रामीण महिलाओं और किसानों के लिए एक लाभदायक और आसान व्यवसाय बन गया है.