उत्पादन में गिरावट के बावजूद चीनी की नहीं होगी कोई किल्लत, सरकार का शानदार प्लान तैयार

2024-25 सीज़न में चीनी उत्पादन में 18.38 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन 48-50 लाख टन चीनी का स्टॉक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 17 May, 2025 | 10:26 AM

इस साल चीनी के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन मार्केट में इसकी पर्याप्त उपलब्धता रहेगी. नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) ने गुरुवार को कहा कि भले ही मौजूदा 2024-25 सीजन में चीनी उत्पादन घटा है, लेकिन देश के पास अक्टूबर-नवंबर 2025 की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 48 लाख से 50 लाख टन चीनी का स्टॉक होगा. ऐसे में महंगाई को नियंत्रित करने में सरकार को काफी मदद मिलेगी. भारत में चीनी का सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है.

15 मई 2025 तक चीनी उत्पादन 18.38 फीसदी गिरकर 257.4 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 315.4 लाख टन था. उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह है चीनी की रिकवरी रेट में कमी और गन्ने की उपलब्धता में कमी है. इस बार चीनी की रिकवरी रेट 10.10 फीसदी से घटकर 9.30 फीसदी रह गई है. इसी के साथ, पेराई के लिए आए गन्ने की मात्रा भी घटकर 2,767.7 लाख टन रह गई, जो पिछले साल 3,122.6 लाख टन थी.

इतना है चीनी उत्पादन का अनुमान

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने कहा है कि 2024-25 के चीनी सीजन में कुल उत्पादन घटकर 261.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले सीजन में 319 लाख टन था. फेडरेशन ने एक बयान में कहा कि सीजन के अंत तक 48 लाख से 50 लाख टन चीनी स्टॉक रहेगा, जो अक्टूबर और नवंबर 2025 की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. 2025-26 के सीजन में चीनी उत्पादन के दोबारा बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार मॉनसून अच्छा रहने और महाराष्ट्र व कर्नाटक में गन्ने की बुवाई बढ़ने की संभावना है.

चीनी की मौजूदा कीमत

फिलहाल एक्स-मिल (कारखाने से बाहर की) चीनी कीमतें 3,880 से 3,920 रुपये प्रति क्विंटल के बीच स्थिर बनी हुई हैं. नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने सरकार से मांग की है कि वह बढ़ती उत्पादन लागत की भरपाई के लिए चीनी की न्यूनतम बिक्री कीमत बढ़ाए. संगठन ने यह सुझाव भी दिया है कि 2025-26 में एथेनॉल उत्पादन के लिए 50 लाख टन चीनी डाइवर्ट करने का लक्ष्य तय किया जाए, एथेनॉल की खरीद कीमतों में संशोधन किया जाए और निर्यात नीति को प्रगतिशील (progressive) रखा जाए, ताकि उद्योग को स्थिरता और लाभ मिल सके.

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Published: 17 May, 2025 | 10:02 AM

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