कलकत्ता हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, पश्चिम बंगाल में तीन साल बाद फिर शुरू होगा मनरेगा

राज्य सरकार का दावा है कि योजना दोबारा शुरू होने के बाद लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार का अवसर मिलेगा. मनरेगा योजना के तहत हर परिवार को साल में 100 दिन का काम दिया जाता है, जिससे ग्रामीणों की आजीविका सुनिश्चित होती है. पिछले तीन वर्षों से काम बंद होने के कारण मजदूरों पर कर्ज और बेरोजगारी का दबाव बढ़ गया था.

नई दिल्ली | Published: 8 Nov, 2025 | 01:31 PM

पश्चिम बंगाल के लाखों ग्रामीण मजदूरों के लिए राहत की खबर आई है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि राज्य में बंद पड़ी मनरेगा (MGNREGA) योजना को बिना किसी देरी के तुरंत शुरू किया जाए. यह योजना राज्य में लगभग तीन साल से ठप पड़ी थी, जिसके चलते हजारों ग्रामीण परिवार बेरोजगार हो गए थे और मजदूरी का बकाया भुगतान भी अटका हुआ था.

तीन साल से बंद थी योजना

मनरेगा योजना पश्चिम बंगाल में दिसंबर 2021 से बंद थी. केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में मनरेगा अधिनियम की धारा 27 के तहत फंड जारी करना बंद कर दिया था. सरकार का कहना था कि योजना के तहत धन का दुरुपयोग हुआ है और कई स्तरों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई थीं. वहीं, राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि केंद्र द्वारा फंड रोकने से गरीब मजदूरों का जीवन संकट में पड़ गया है.

राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने 2024 में दाखिल एक हलफनामे में बताया था कि केंद्रीय ऑडिट टीम ने करीब 613 करोड़ रुपये की अनियमितताएं पाई थीं, जिनमें से लगभग 210.23 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है. मामले की जांच के लिए केंद्र, राज्य, कैग और महालेखाकार के प्रतिनिधियों की एक चार सदस्यीय समिति भी बनाई गई थी.

कोर्ट ने कहा – तुरंत शुरू हो काम

शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब योजना को दोबारा शुरू करने में कोई कानूनी या प्रशासनिक बाधा नहीं है. अदालत ने कहा, “चूंकि सभी पक्ष इस बात से सहमत हैं कि मनरेगा को दोबारा लागू करने में कोई रुकावट नहीं है, इसलिए इसे तुरंत प्रभाव से शुरू किया जाए.”

सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंद्योपाध्याय ने कहा कि मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान भी जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि करीब 4,500 करोड़ रुपये का बकाया अब तक नहीं दिया गया है.

केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने फंड का दुरुपयोग किया था, जिसकी जांच पहले ही की जा चुकी है. इसके बाद अदालत ने केंद्र को मजदूरी भुगतान से संबंधित जानकारी के साथ चार हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

मजदूरों को मिलेगी राहत

राज्य सरकार का दावा है कि योजना दोबारा शुरू होने के बाद लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार का अवसर मिलेगा. मनरेगा योजना के तहत हर परिवार को साल में 100 दिन का काम दिया जाता है, जिससे ग्रामीणों की आजीविका सुनिश्चित होती है. पिछले तीन वर्षों से काम बंद होने के कारण मजदूरों पर कर्ज और बेरोजगारी का दबाव बढ़ गया था.

इस फैसले से राज्य में अब दोबारा कार्यस्थलों पर गतिविधियां शुरू होंगी और बकाया मजदूरी के भुगतान से मजदूरों को राहत मिलेगी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि आगे से फंड के उपयोग में पारदर्शिता बनी रहनी चाहिए और किसी भी स्तर पर अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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