सरकार के फैसले से रिफाइंड तेल की चमक फीकी, लेकिन अगस्त में पाम ऑयल बना सबसे बड़ा खिलाड़ी

इस साल भारत ने नवंबर 2024 से अगस्त 2025 के बीच लगभग 9.95 लाख टन रिफाइंड तेल और 113.82 लाख टन क्रूड तेल खरीदा. पिछले साल की तुलना में रिफाइंड तेल का हिस्सा 12 फीसदी से घटकर 8 फीसदी रह गया, जबकि क्रूड तेल का हिस्सा 88 फीसदी से बढ़कर 92 फीसदी हो गया.

नई दिल्ली | Published: 16 Sep, 2025 | 10:20 AM

August 2025 Edible Oil Report: भारत में अगस्त 2025 में खाने के तेल का आयात बढ़ गया है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में देश ने कुल 16.21 लाख टन खाने का तेल खरीदा, जो पिछले साल अगस्त के 15.36 लाख टन से करीब 5.55 फीसदी ज्यादा है. इस बढ़त की सबसे बड़ी वजह रही क्रूड पाम ऑयल (CPO) की बढ़ी हुई खरीद. अगस्त 2025 में CPO का आयात लगभग 40 फीसदी उछलकर 9.79 लाख टन तक पहुंच गया, जबकि अगस्त 2024 में यह सिर्फ 7 लाख टन था.

सालभर में कुल आयात घटा

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भले ही अगस्त में आयात बढ़ा, लेकिन पूरे तेल वर्ष (नवंबर 2024 से अगस्त 2025) के पहले 10 महीनों में खाने के तेल का कुल आयात पिछले साल की तुलना में कम रहा. इस अवधि में भारत ने 123.78 लाख टन तेल खरीदा, जबकि 2023-24 में यही आंकड़ा 134.71 लाख टन था. यानी सालभर में आयात करीब 8 फीसदी घटा है. इसी अवधि में क्रूड पाम ऑयल का आयात भी घटकर 50.89 लाख टन रह गया, जो पिछले साल 59.40 लाख टन था.

रिफाइंड पामोलीन की मांग में भारी गिरावट

रिफाइंड पामोलीन (RBD Palmolein) का आयात इस साल काफी घट गया है. SEA के डायरेक्टर बीवी मेहता के मुताबिक, सरकार ने मई 2025 में क्रूड पाम ऑयल और रिफाइंड पामोलीन के आयात शुल्क का अंतर 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 19.25 फीसदी कर दिया. इससे रिफाइंड तेल की खरीद महंगी हो गई और इसका सीधा असर आयात पर पड़ा.

जुलाई 2025 में रिफाइंड पामोलीन का आयात घटकर सिर्फ 5,000 टन रह गया, जबकि जुलाई 2024 में यह 1.36 लाख टन था. अगस्त 2025 में भी आयात केवल 8,000 टन हुआ, जो पिछले साल अगस्त के 92,130 टन की तुलना में बहुत कम है.

घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को फायदा

बीवी मेहता ने कहा कि सरकार का यह फैसला साहसिक और समय पर लिया गया कदम है. आयात शुल्क बढ़ने से रिफाइंड तेल की बजाय कच्चे तेल की मांग बढ़ी है. इससे देश के तेल रिफाइनिंग उद्योग को मजबूती मिली है. यह कदम प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आगे बढ़ाता है, जिससे देश में तेल उत्पादन, प्रोसेसिंग क्षमता और रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे.

नेपाल से बिना शुल्क के आयात

SAFTA समझौते के तहत नेपाल से भारत में सोयाबीन और सूरजमुखी का रिफाइंड तेल बिना शुल्क के आता है. नवंबर 2024 से जुलाई 2025 के बीच नेपाल से लगभग 5.89 लाख टन तेल भारत आया. इसे मिलाकर इस साल के पहले 10 महीनों में कुल तेल आयात 129.7 लाख टन तक पहुंच गया.

क्रूड बनाम रिफाइंड तेल

इस साल भारत ने नवंबर 2024 से अगस्त 2025 के बीच लगभग 9.95 लाख टन रिफाइंड तेल और 113.82 लाख टन क्रूड तेल खरीदा. पिछले साल की तुलना में रिफाइंड तेल का हिस्सा 12 फीसदी से घटकर 8 फीसदी रह गया, जबकि क्रूड तेल का हिस्सा 88 फीसदी से बढ़कर 92 फीसदी हो गया.

सोयाबीन तेल का आयात तेजी से बढ़कर 38.90 लाख टन पहुंच गया (पिछले साल 27.14 लाख टन), जबकि सूरजमुखी तेल का आयात घटकर 23.49 लाख टन रह गया (पिछले साल 31.14 लाख टन).

सबसे बड़े सप्लायर देश

क्रूड पाम ऑयल के सबसे बड़े सप्लायर के रूप में इंडोनेशिया ने भारत को 22.61 लाख टन CPO भेजा. इसके बाद मलेशिया ने 20.21 लाख टन CPO का निर्यात किया.

सोयाबीन तेल में अर्जेंटीना सबसे आगे रहा, जिसने 23.85 लाख टन तेल भारत को भेजा. इसके बाद ब्राजील (8.86 लाख टन), अमेरिका (1.88 लाख टन) और रूस (1.92 लाख टन) का स्थान रहा. सूरजमुखी तेल के मामले में रूस (12.02 लाख टन) सबसे बड़ा सप्लायर रहा, इसके बाद यूक्रेन (5.76 लाख टन) और अर्जेंटीना (3.77 लाख टन) रहे.

अगस्त के आंकड़े बताते हैं कि भारत में खाने के तेल की मांग अभी भी मजबूत है. सरकार के नए टैक्स नियमों से जहां देश के रिफाइनिंग उद्योग को फायदा मिला है, वहीं क्रूड तेल की ज्यादा खरीद से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है. आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतें और मानसून की स्थिति तेल की कीमत और आयात की दिशा तय करेंगे.