UP में प्राकृतिक खेती करने वाले को मिलेंगे 4000 रुपये, ‘कृषि सखियों’ का होगा ये अहम रोल

प्रयागराज में गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 'कृषि सखियों' को तैनात किया गया है. ये महिलाएं किसानों को कम लागत वाली, बिना रसायन की खेती सिखाएंगी. उन्हें 5,000 रुपये मासिक मानदेय मिलेगा और किसानों को सालाना 4,000 रुपये की सहायता दी जाएगी.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 11 May, 2025 | 09:58 AM

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रयागराज जिले के सभी 23 ब्लॉकों में गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘कृषि सखियों’ को जोड़ा है. इनका काम इच्छुक किसानों को जोड़ना और उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करना है. कृषि सखी को किसानों की ‘दोस्त’ के रूप में तैयार किया जा रहा है, जो उनके घर तक जरूरी जानकारी, कौशल और मार्गदर्शन पहुंचाएंगी. वे किसानों को प्राकृतिक खेती, मिट्टी की सेहत और नई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित करेंगी.

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है. इसके लिए नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM) से कृषि सखियों की सूची मांगी गई है. सरकार ने ‘कृषि सखी’ को प्रशिक्षित करने की योजना तैयार कर ली है. 13 मई से जिले के 12 क्लस्टरों में स्थित कृषक विकास केंद्रों पर इनकी ट्रेनिंग शुरू होगी. हर क्लस्टर में कम से कम दो कृषि सखियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.

कृषि सखी को मिलेगी 5000 रुपये सैलरी

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि सखियां स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं में से चुनी गई हैं, जिनका चयन जिला स्तर की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा किया गया है. हर कृषि सखी को 5,000 रुपये हर महीने सैलरी मिलेगी. इसके अलावा, जो किसान प्राकृतिक खेती अपनाएंगे, उन्हें सरकार की ओर से सालाना 4,000 रुपये की सहायता दी जाएगी. अगर किसी कृषि क्लस्टर में कृषि सखी उपलब्ध नहीं है, तो वहां इस काम की जानकारी रखने वाले किसी सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (Community Resource Person) को जिम्मेदारी दी जाएगी.

500 हेक्टेयर जमीन पर खेती

प्रयागराज में प्राकृतिक खेती के 12 क्लस्टर हैं, जिनमें से 7 जसरा ब्लॉक और 5 भगवतपुर ब्लॉक में हैं. प्रयागराज में हर एक क्लस्टर में करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर खेती होती है. फिलहाल जिले में 1,500 से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. अधिकारी बताते हैं कि अब ‘कृषि सखियों’ को इस तरह प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वे किसानों को कम लागत में प्राकृतिक तरीकों से ज्यादा उत्पादन करना सिखा सकें. ये कृषि सखियां अपने अनुभव और जानकारी को बाकी किसानों तक भी पहुंचाएंगी. अब तक खासकर छोटे और सीमांत किसानों को उनकी उपजाऊ जमीन का पूरा लाभ नहीं मिल पाया था. इसका कारण मिट्टी की गुणवत्ता का खराब होना था, जो कीटनाशकों और रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल से हुआ.

जलवायु अनुकूल खेती की ट्रेनिंग

अब इन कृषि सखियों को बिना रसायन वाली, कम खर्च और जलवायु के अनुकूल खेती के तरीके अपनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि चूंकि राज्य और देशभर में खेती का बड़ा हिस्सा महिलाओं के कंधों पर है, इसलिए जब उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है, तो इसका असर ज्यादा प्रभावी होता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 11 May, 2025 | 09:58 AM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%