किसानों के लिए नई योजना शुरू कर रही है सरकार, खर्च होंगे 274 करोड़.. इस सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
सरकार ने करुणा रेशम उत्पादन के लिए अरंडी और टैपिओका आधारित एरीकल्चर को बढ़ावा देने की योजना बनाई है, जिसमें नई और उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर का समर्थन होगा. योजना के तहत एरीकेंद्रों में बीज फार्म और जर्मप्लाज्म सेंटर का सुधार और रखरखाव किया जाएगा.
Odisha News: ओडिशा सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष से मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना (MRVY) शुरू करने का फैसला किया है, जो रेशम उद्योग को मजबूत करने की प्रमुख योजना है. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हाल ही में मंजूरी मिली इस योजना के तहत विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी किसानों को लाभ मिलेगा. हैंडलूम, टेक्सटाइल और हैंडीक्राफ्ट विभाग अगले पांच साल में 274.22 करोड़ रुपये खर्च करेगा. ओडिशा में फिलहाल चार तरह की रेशम की खेती हो रही है. तसर, एरी, मुगा और मलबेरी. तसर रेशम खेती प्रमुख रूप से आदिवासी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है और राज्य ने अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्रों में एरी और मुगा रेशम खेती को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है.
विभाग के अनुसार, रेशम उद्योग बहुत श्रम-प्रधान है और 24 जिलों में हजारों परिवारों और ग्रामीण घरों को रोजगार देता है, जिसमें 80 फीसदी से अधिक परिवार आदिवासी और महिलाएं हैं. वर्तमान में ओडिशा में 12,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रेशम की खेती हो रही है. हैंडलूम, टेक्सटाइल और हैंडीक्राफ्ट विभाग की सचिव गुहा पूनम तपस कुमार ने कहा कि योजना में रेशम उत्पादन बढ़ाने, रेशम केबीज (silkworm seed) सुधारने, होस्ट पौधों का विस्तार करने, किसानों की स्किल बढ़ाने और आधुनिक पालन तकनीक अपनाने पर ध्यान दिया जाएगा.
नई योजना से किसानों की आय बढ़ेगी
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुहा पूनम तपस कुमार ने कहा कि नई योजना से किसानों की आय बढ़ेगी, स्थिर रोजगार मिलेगा और रेशम से लेकर बुनाई तक पूरे मूल्य श्रृंखला को मजबूत किया जाएगा. साथ ही यह क्षेत्र नवाचार और रिसर्च-आधारित विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा. मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना (MRVY) को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह रेशम उद्योग की बदलती जरूरतों के अनुसार पुराने कार्यक्रमों को सुधार सके और मजबूत कर सके. खास बात यह है कि सिमिलीपाल बायोस्फियर, मयूरभंज जिले में पाए जाने वाले अनोखे मोडल तसर रेशम की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया जाएगा. इसके लिए एक विशेष मॉडल इको-रेस संरक्षण कार्यक्रम लागू किया जाएगा.
कोकून प्रोक्योरमेंट सेंटर बनाए जाएंगे
सरकार ने करुणा रेशम उत्पादन के लिए अरंडी और टैपिओका आधारित एरीकल्चर को बढ़ावा देने की योजना बनाई है, जिसमें नई और उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर का समर्थन होगा. योजना के तहत एरीकेंद्रों में बीज फार्म और जर्मप्लाज्म सेंटर का सुधार और रखरखाव किया जाएगा, और गुणवत्ता वाली एरी रेशम कीट (silkworm) बीज उत्पादन के लिए कोकून प्रोक्योरमेंट सेंटर बनाए जाएंगे.
मलबेरी क्लस्टरों को बढ़ावा दिया जाएगा
सचिव ने कहा कि तसर सिल्क पार्क और इन क्लस्टरों में काम करने वाली महिलाओं को भी समर्थन मिलेगा. मलबेरी क्लस्टरों को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के लिए बासुंगा पत्ता की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. साथ ही सिल्क कीट के होस्ट पौधों के नर्सरी स्थापित और प्रबंधित की जाएंगी. इस योजना के तहत, ओडिशा स्टेट सेरिकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (OSSR&TI) को किसानों, विस्तार कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और रेशम उद्योग से जुड़े अन्य हितधारकों के लिए प्रशिक्षण, कौशल विकास और तकनीक हस्तांतरण का समर्पित केंद्र बनाया जाएगा.