उत्तर प्रदेश के किसान मोती की खेती करेंगे और इसके लिए पर्ल फार्मिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी गई है. उत्तर प्रदेश सरकार इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को 12 लाख रुपये तक की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. जबकि, किसान 18 माह की अवधि में औसतन 8.5 लाख रुपये तक की शुद्ध कमाई कर सकते हैं. नीली क्रांति के तहत केंद्र सरकार भी मोती की खेती पर किसानों को सब्सिडी का लाभ दे रही है.
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन परिसर में तालाब में मोती की खेती (पर्ल फार्मिंग) परियोजना का शुभारंभ किया. उन्होंने परियोजना स्थल पर कृषि केंद्रित कंपनी मणि एग्रो हब प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के जरिए प्रदर्शित मोती के सीप की सर्जरी प्रक्रिया का अवलोकन भी किया. उन्होंने इसे एक अच्छा एवं उपयोगी प्रोजेक्ट बताते हुए कहा कि इस प्रकार की नवाचार आधारित पहलें किसानों, युवाओं एवं महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा करती हैं.
वैज्ञानिक तरीके से होती है मोती की खेती
मणि एग्रो हब प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आनंद त्रिपाठी ने परियोजना का परिचय देते हुए कहा कि मोती की खेती एक वैज्ञानिक, टिकाऊ एवं लाभकारी कृषि उद्यम है, जो किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर सृजित करता है. उन्होंने बताया कि मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जिसकी देश-विदेश में निरंतर मांग बनी रहती है, जबकि भारत में इसकी मांग की तुलना में उत्पादन बहुत कम है.
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18 माह में 8.5 लाख रुपये तक की शुद्ध आय
उन्होंने बताया कि मोती की खेती चरणबद्ध प्रक्रिया के अंतर्गत सीपों के संग्रह, सर्जरी (न्यूक्लियस प्रत्यारोपण), तालाब में स्थापना एवं नियमित देखभाल की जाती है. लगभग 2000 वर्ग फीट के तालाब में 10,000 सीपों की खेती से 18 माह की अवधि में औसतन 8.5 लाख रुपये तक की शुद्ध आय संभव है. मणि एग्रोहब प्रा. लि. की ओर से किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
12 लाख तक के खर्च पर 50 फीसदी छूट
निदेशक आनंद त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार की मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत मोती की खेती पर 50 फीसदी तक अनुदान भी उपलब्ध है, जिससे यह परियोजना किसानों के लिए अत्यंत व्यवहारिक और लाभकारी सिद्ध हो रही है. किसानों को पर्ल फार्मिंग प्रोजेक्ट पर 12 लाख रुपये तक खर्च होने पर 50 फीसदी की छूट दी जा रही है. उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग और केंद्र सरकार के पशुपालन एवं मछली विभाग की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. आईसीएआर प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए 25 लाख रुपये तक की मदद करता है.
किसान ने गिर गाय का वैज्ञानिक तरीके से पालन कर कमाई बढ़ाई
राज्यपाल ने बलिया के प्रगतिशील किसान जेपी पांडेय की सफलता की प्रेरक कहानी साझा करते हुए बताया कि उन्होंने गिर नस्ल की गाय का वैज्ञानिक तरीके से पालन किया, दूध, पनीर और घी का उत्पादन किया तथा अपने ही गांव में बाजार विकसित किया. आज वह न केवल लाखों रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि लगभग 200 अन्य किसानों को भी प्रेरित कर आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक किसान जब ठान लेता है कि उसे कुछ करना है, तो वह बड़ी उपलब्धि हासिल करता है.