देश में जीएसटी काउंसिल ने बड़ा फैसला लेते हुए कुछ हानिकारक और विलासिता वाली वस्तुओं पर टैक्स दरें बढ़ा दी हैं. अब तंबाकू उत्पाद, पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, सिगार, चबाने वाला तंबाकू, शक्करयुक्त पेय और लक्जरी कारों पर 40 फीसदी टैक्स लगेगा. यह “जीएसटी 2.0” का हिस्सा है, जिसके तहत सिर्फ दो मुख्य स्लैब रहेंगे-5 फीसदी और 18 फीसदी. लेकिन नुकसानदेह और लग्जरी आइटम्स पर सबसे ऊंचा स्लैब यानी 40 फीसदी लागू किया जाएगा.
इससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा और साथ ही लोगों को हानिकारक वस्तुओं के सेवन से हतोत्साहित भी किया जाएगा.
तंबाकू और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स पर कड़ा प्रहार
भारत में तंबाकू सेवन एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है. रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ सिगरेट की खपत ही देश के जीडीपी का लगभग 1 फीसदी हिस्सा खत्म कर देती है. ऐसे में जीएसटी काउंसिल ने फैसला लिया कि पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, सिगार, जर्दा और बीड़ी जैसे तंबाकू उत्पादों पर अब 40 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा.
सिगरेट पर अभी भी 28 फीसदी जीएसटी के साथ कंपनसेशन सेस लगाया जा रहा है. यह टैक्स तब तक जारी रहेगा जब तक राज्यों का सेस लोन पूरी तरह चुकता नहीं हो जाता. उसके बाद इन्हें 40 फीसदी स्लैब में डाल दिया जाएगा.
मीठे पेय और एनर्जी ड्रिंक भी महंगे
युवा पीढ़ी में कार्बोनेटेड, कैफीनयुक्त और एनर्जी ड्रिंक तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ये पेय मोटापा, डायबिटीज और हार्ट की बीमारियों को बढ़ाते हैं. सरकार ने इन्हें भी “सिन प्रोडक्ट” की श्रेणी में डालते हुए 40 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया है. इससे उम्मीद है कि इनकी खपत घटेगी और लोग हेल्दी विकल्पों की ओर रुख करेंगे.
लक्जरी गाड़ियां खरीदना होगा मुश्किल
अगर आप 1200 सीसी से अधिक पेट्रोल इंजन या 1500 सीसी से अधिक डीजल इंजन वाली लक्जरी कार या एसयूवी खरीदने की सोच रहे हैं तो अब जेब और ढीली करनी होगी. जीएसटी काउंसिल ने इन गाड़ियों पर भी 40 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया है.
इस कदम से न सिर्फ महंगी गाड़ियां खरीदना मुश्किल होगा, बल्कि सरकार के खजाने में भी अच्छा-खासा राजस्व आएगा.
जंक फूड और अन्य वस्तुएं
सरकार ने यह भी साफ किया है कि जंक फूड और शुगर, नमक या ट्रांस-फैट से भरपूर प्रोसेस्ड फूड पर भी हाई टैक्स लगाया जाएगा. वहीं शराब अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर रहेगी और उस पर पहले की तरह राज्यों का एक्साइज ड्यूटी ही लागू रहेगा.
सरकार का मकसद: राजस्व + स्वास्थ्य सुरक्षा
GST परिषद का यह फैसला सिर्फ टैक्स बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे दो बड़े उद्देश्य हैं. पहला, उन वस्तुओं की खपत को कम करना जो लोगों की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही हैं, जैसे तंबाकू उत्पाद, गुटखा, मीठे पेय और जंक फूड. दूसरा, इन पर लगाए गए ऊंचे टैक्स से सरकार अतिरिक्त राजस्व जुटा पाएगी. इस राजस्व को स्वास्थ्य सेवाओं, जन कल्याण और सामाजिक योजनाओं पर खर्च किया जाएगा, ताकि लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें. यानी, एक तरफ जहां यह कदम लोगों को हानिकारक चीजों से दूर रखने का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर यह देश के विकास और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का साधन भी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इस टैक्स सुधार को “दिवाली का तोहफा” बताते हुए कहा था कि इससे आम आदमी की जेब पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.