भारत ने समुद्री उत्पादों के निर्यात में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अब भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा समुद्री उत्पाद निर्यातक देश बन गया है. यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से सामने आई है.
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 130 देशों को समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जबकि 2015 में यह संख्या केवल 105 थी. यह दिखाता है कि भारत ने न सिर्फ अपना उत्पादन बढ़ाया, बल्कि नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी जगह बनाई.
कैसे बढ़ी भारत की रैंकिंग?
भारत ने 2025 में 1.685 मिलियन मीट्रिक टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 1.051 मिलियन मीट्रिक टन था. इतना ही नहीं, भारत का समुद्री निर्यात मूल्य भी 5.4 बिलियन डॉलर (2015) से बढ़कर 7.2 बिलियन डॉलर (2025) हो गया है. 2015 में भारत इस सूची में आठवें स्थान पर था, और अब सीधे चौथे स्थान पर पहुंच गया है, यानी चार पायदान की छलांग.
ये हैं कामयाबी के पीछे के कारण
- बेहतर जलीय कृषि तकनीक
- मजबूत कोल्ड चेन सिस्टम
- अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का पालन
- नई विदेशी बाजारों में एंट्री
इन सभी कारणों से भारत के समुद्री उत्पादों की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ी है.
दुनिया में बढ़ी भारत के सीफूड की पहचान
एक अधिकारी के मुताबिक, भारत के निर्यातकों ने अब उच्च मूल्य वाले बाजारों की ओर रुख किया है. साथ ही, जितने ज्यादा देश भारत से सामान खरीदते हैं, उतना ही बाजार जोखिम कम होता है और स्थायी विकास के मौके बढ़ते हैं.
आर्थिक तौर पर कितना अहम है ये कदम?
भारत की ये उपलब्धि सिर्फ मछली या झींगा बेचने की बात नहीं है ये देश की आर्थिक मजबूती का भी संकेत है. समुद्री निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा मिलती है, मत्स्य उद्योग को मजबूती मिलती है और हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. यह एक ऐसा सेक्टर बन गया है जो खेती से लेकर वैश्विक बाजार तक, हर स्तर पर सिर्फ फायदेमंद ही साबित हो रहा है.