देश में मॉनसून पूरी तरह से एंट्री ले चुका है, ऐसे में किसान मॉनसून में उगाई जाने वाली फसलों की बुवाई भी कर चुके हैं. जिनसे किसानों को अच्छा उत्पादन और कमाई दोनों मिलती है. एक ओर जहां कुछ किसानों को बारिश का फायदा मिल रहा है वहीं दूसरी ओक कुछ किसानों को बारिश के काफी नुकसान हो रहा है. बता दें कि राजस्थान में बारिश के चलते नमक का व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. जिसके चलते यहां के किसानों के सामने अपनी जीविका चलाने के संकट आ गया है.ऐसे में किसान सरकार से एक वैकल्पिक रोजगार की मांग कर रहे हैं ताकि वे दो वक्त की रोटी जुटा सकें.
नमक व्यवसाय हुआ ठप
राजस्थान में पिछले 3 साल के मुकाबले इस साल सबसे ज्यादा अच्छी बारिश हो रही है जो कि यहां के नमक व्यापारियों के लिए चिंता का विषय बन गई है. पहले प्री मानसून की बारिश और अब मानसून की बरसात, इसके चलते राजस्थान के डीडवाना – कुचामन जिले के नमक के व्याापरियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. दरअसल, तेज बारिश के चलते नमक उत्पादन का काम पूरी तरह से बंद हो गया है जिसके कारण नमक व्यापारियों को आर्थिक मार का सामना करना पड़ रहा है.
3 हजार इकाइयां हुईं बंद
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार बारिश के चलते राज्सथान के नमक उत्पादन वाले इलाकों में 3 हजार नमक इकाइयां बंद हो चुकी हैं, जिसके कारण हजारों की संख्या में मजदूरों की नौकरी चली गई है. नमक व्यापारियों के मुताबिक जिस तरह की बरसात हो रही है उससे अब नमक उत्पादन का काम दीपावली के बाद ही शुरु हो सकेगा. ऐसे में उत्पादन में काम करने वाले हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इन मजदूरों में पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश और बिहार के मजदूर भी शामिल हैं.

राजस्थान की नमक इकाइयों में काम करने वाले मजदूर
सरकार से वैकल्पिक रोजगार की मांग
कुचामन सिटी नमक व्यापार मण्डल के अध्यक्ष और नमक व्यवसायी मुरली मनोहर स्नेही ने बताया कि राजस्थान में नमक उत्पादन के लिहाज से गर्मियों का मौसम सबसे सही होता है. उन्होंने बताया कि इस बार बरसात के बाद नमक उत्पादक घाटे में है.सबसे बड़ी खारे पानी के झील नावां, सांभर, कुचामन में हर साल मई से जुलाई तक लाखों टन नमक का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार लगातार बरसात होने के कारण झील की क्यारियों में पानी सूखने की जगह और बढ़ गया है. जिसके कारण नमक का उत्पादन पूरी तरह से रुक गया है और व्यापारियों को लगातार नुकसान हो रहा है.
उन्होंने बताया कि नमक उत्पादन इकाइयों में दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में मजदूर काम करने आते हैं. अब क्योंकि नमक का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है तो ऐसे में मजदूर सरकार से वैकल्पिक रोजगरा की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम कर सकें.