Maharashtra News: महाराष्ट्र में प्याज किसानों को उचित रेट नहीं मिल रहा है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस बार किसानों को उम्मीद थी कि त्योहारी सीजन के दौरान प्याज की कीमतों में उछाल आएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि दिवाली के बाद पाडवा पर प्याज और सस्ता हो गया. नासिक स्थित एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव एपीएमसी में प्याज का रेट बुधवार को गिरकर 351 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है. ऐसे में उपज बेचने मंडी आए कई किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा.
दरअसल, बुधवार सुबह लासलगांव एपीएमसी के विनचूर उपबाजार में प्याज की नीलामी हुई. किसानों को उम्मीद थी कि त्योहार के दिन दाम 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कीमतें बढ़ने की बजाय और गिर गईं, जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. इस दिन बाजार में कुल 311 ट्रक खरीफ प्याज लेकर पहुंचे. लेकिन दाम बढ़ने के बजाय 1,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे गिर गए, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई. इस दिन मंडी में प्याज का अधिकतम रेट 1,156 रुपये प्रति क्विंटल, न्यूनतम रेट 351 रुपये प्रति क्विंटल और औसत रेट 975 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया.
प्याज पर प्रति क्विंटल 1,000 से 1,500 रुपये की सब्सिडी
किसानों का कहना है कि इन दामों पर उन्हें कोई मुनाफा नहीं हो रहा, बल्कि ट्रांसपोर्ट और मजदूरी का खर्च भी नहीं निकल पा रहा. इस वजह से प्याज किसानों की आर्थिक हालत बुरी तरह से बिगड़ गई है. लगातार बढ़ती उत्पादन लागत, बाजार की अनिश्चितता और गिरते दामों को देखते हुए किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि बेचा जा रहा या बिकने वाला प्याज पर प्रति क्विंटल 1,000 से 1,500 रुपये की सब्सिडी दी जाए.
प्याज का न्यूनतम भाव 3,000 रुपये क्विंटल हो
एक प्याज किसान ने कहा कि हमने दिन-रात मेहनत करके प्याज उगाई, लेकिन जो दाम मिल रहे हैं, वो हमारी लागत भी पूरी नहीं करते. हमें उम्मीद थी कि पाडवा पर भाव थोड़े बढ़ेंगे, लेकिन उल्टा और गिर गए. सरकार को चाहिए कि प्याज का न्यूनतम भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तय करे, जो हमारी उत्पादन लागत से लगभग दोगुना है.
प्याज किसानों को हो रहा नुकसान
वहीं, एक दूसरे किसान ने कहा कि इस समय प्याज के दाम 700 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं. ऐसे दामों पर हमारे हाथ कुछ नहीं बचता, यहां तक कि ट्रांसपोर्ट और मजदूरी का खर्च भी नहीं निकलता. सरकार को प्याज पर 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देनी चाहिए और एक तय समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए.