धान पर MSP से किसानों की आमदनी में इजाफा, लेकिन सरकार के लिए क्यों बना सिरदर्द?

धान की इस साल की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) रुपये2,389 प्रति क्विंटल तय की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 69 रुपये अधिक है. इसके अलावा, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों ने किसानों को अतिरिक्त बोनस भी दिया, जिससे उन्हें कुल मिलाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तक की राशि मिली.

नई दिल्ली | Published: 3 Sep, 2025 | 03:51 PM

भारत में धान खरीद इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. सरकार ने अक्टूबर 2024 से अगस्त 2025 तक कुल 545.22 लाख टन चावल खरीदा है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 4 प्रतिशत अधिक है. यह आंकड़ा किसानों के लिए राहत की खबर तो है, लेकिन सरकार के सामने अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है-अतिरिक्त स्टॉक के निपटान की. तो चलिए डालते हैं एक नजर पूरी रिपोर्ट पर.

कहां से कितना खरीदा गया चावल

धान की खरीदी इस बार लगभग हर राज्य में बेहतर रही.

  • पंजाब ने सबसे ज्यादा 116.13 लाख टन चावल दिया.
  • छत्तीसगढ़ से 78 लाख टन खरीदा गया, हालांकि यह पिछले साल की तुलना में कम है.
  • ओडिशा से 50.12 लाख टन, हरियाणा से 36.17 लाख टन, और उत्तर प्रदेश से 38.66 लाख टन चावल आया.
  • तेलंगाना ने भी इस साल अच्छा प्रदर्शन किया और पिछले साल के 63.86 लाख टन की तुलना में इस बार 71.25 लाख टन चावल दिया.
  • आंध्र प्रदेश से 25.60 लाख टन, बिहार से 26.28 लाख टन, मध्य प्रदेश से 29.16 लाख टन, और पश्चिम बंगाल से 19.91 लाख टन की खरीद हुई.
  • तमिलनाडु ने भी सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य को पूरा किया. खरीफ सीजन से करीब 474 लाख टन और रबी सीजन से 71 लाख टन चावल खरीदा गया.

स्टॉक का बढ़ता बोझ

भारत में पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) और अन्य योजनाओं के लिए सालाना लगभग 410 लाख टन चावल की आवश्यकता होती है. लेकिन इस साल अगस्त 2025 तक सरकार के पास पहले से ही 380 लाख टन चावल और लगभग 213.52 लाख टन धान मौजूद था, जो लगभग 143 लाख टन चावल के बराबर है.

बफर स्टॉक का मानक केवल 102.5 लाख टन है, इसलिए यह अतिरिक्त स्टॉक सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसे समय पर निपटाना और मार्केट में उचित तरीके से उतारना सरकार की प्राथमिकता बन चुका है.

किसानों को मिला बेहतर दाम

धान की इस साल की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) रुपये2,389 प्रति क्विंटल तय की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 69 रुपये अधिक है. इसके अलावा, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों ने किसानों को अतिरिक्त बोनस भी दिया, जिससे उन्हें कुल मिलाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तक की राशि मिली. अगर अन्य राज्य भी बोनस बढ़ाते हैं, तो किसानों को और लाभ होगा.

एफसीआई ने लिया बड़ा कदम

सरकार ने स्टॉक निपटान के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से एक नई योजना शुरू की है. अब व्यापारी सीधे डिपो से चावल खरीद सकते हैं. व्यापारी 1 से 9 टन चावल एक बार में 2,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ले सकते हैं. यह कदम निजी व्यापारियों के जरिए अतिरिक्त स्टॉक को धीरे-धीरे मार्केट में लाने के उद्देश्य से उठाया गया है.

एथनॉल उत्पादन में इस्तेमाल होगा अतिरिक्त चावल

सरकार ने चावल के अतिरिक्त स्टॉक को खत्म करने के लिए एथनॉल योजना पर भी भरोसा जताया है. इसके तहत 52 लाख टन चावल डिस्टिलरी को उपलब्ध कराया जाएगा. यह चावल नवंबर से 23.20 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा. इससे न केवल अतिरिक्त चावल का निपटान होगा, बल्कि एथनॉल उत्पादन और ईंधन क्षेत्र को भी मदद मिलेगी.